बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री ‘भारतीय भाषाओं में महिला लेखन’ पर करेंगी चर्चा 

उपन्यास ‘टोंब ऑफ सैंड’ के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री ‘भारतीय भाषाओं में महिला लेखन’ पर अपने विचार रखेंगी

बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री ‘भारतीय भाषाओं में महिला लेखन’ पर करेंगी चर्चा 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     15-06-2022

उपन्यास ‘टोंब ऑफ सैंड’ के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री ‘भारतीय भाषाओं में महिला लेखन’ पर अपने विचार रखेंगी। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 16 जून से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ शुरू होने जा रहा है। 

गीतांजलि श्री 18 जून को वायसराय सभागार में अभिव्यक्ति के इस उत्सव में विशेष रूप से बोलेंगी। ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ की कड़ी में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में होने जा रहे इस उत्सव में विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा मंगलवार को तय की गई।

16 से 18 जून तक होने वाले इस उत्सव की शुरुआत गेयटी थियेटर शिमला के मुख्य सभागार में होगी। 16 जून को 12 बजे पहला कार्यक्रम ‘साहित्य और स्त्री सशक्तीकरण विषय’ पर होगा। 18 जून को 12:30 बजे से 1:30 बजे के बीच ‘भारतीय भाषाओं मेें महिला लेखन’ पर परिचर्चा होगी। 

इसकी अध्यक्षता जानी-मानी लेखिका मृदुला गर्ग करेंगी। इसमें संवादी बुकर अवार्डी लेखिका गीतांजलि श्री, जयश्री महंत और ममंग दई का संवाद होगा। इस उत्सव में देश-विदेश से करीब 450 साहित्यकार, लेखक और कलाकार भाग लेंगे। ये 64 भाषाओं में अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे।

अमेरिका, यूके, नीदरलैंड, नॉर्वे जैसे देशों से आए प्रवासी भारतीय साहित्यकार करेंगे शिमला में संवाद  अमेरिका से विजय शेषाद्रि, चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी, मंजुला पद्मनाभन, मेडागास्कर से अभय के. दक्षिण अफ्रीका से अंजू रंजन, यूके से दिव्या माथुर, सुनेत्र गुप्ता, नीदरलैंड से पुष्पिता अवस्थी और नॉर्वे से सुरेश चंद्र शुल्क ‘प्रवासी भारतीय साहित्यिक अभिव्यक्तियां’ विषय पर होने जा रहे संवाद में भाग लेंगे। 

इसकी विजय शेषाद्रि अध्यक्षता करेंगे। इसी तरह से देश के विभिन्न भाषाओं के कई वरिष्ठ लेखक शिमला में होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में तीन दिन तक अलग-अलग सत्रों की अध्यक्षता करेंगे। यह आयोजन गेयटी थियेटर, पद्मदेव व्यावसायिक परिसर और पद्मदेव व्यावसायिक परिसर में होगा। 

16 जून को ‘सिनेमा और साहित्य’ पर सई परांजपे, ‘मेरे लिए कविता के मायने एवं रचनापाठ’ की अध्यक्षता अर्जुन देव चारण, ‘पारिस्थिकीय-विमर्श पर परिचर्चा’ की अनीता अग्निहोत्री, ‘भारतीय कालजयी कृतियां और विश्व साहित्य’ की हरीश त्रिवेदी, बहुभाषी कविता पाठ की चंद्रशेखर कंबार, ‘जुगलबंदी पंजाबी और हिंदी कवियों की’ संवाद की अनामिका, ‘उगते सूरज की भूमि से पूर्वोत्तर का साहित्य’ परिचर्चा की ध्रुव ज्योति बोरा अध्यक्षता करेंगे। ‘

मातृभाषा का महत्व’ की कपिल कपूर, इसके बाद फिर बहुभाषी कविता पाठ की लीलाधर जगूड़ी, ‘आदिवासी साहित्य की वर्तमान साहित्यिक प्रवृत्तियों पर परिचर्चा एवं रचनापाठ’ की कांजी पटेल करेंगी। इसी दिन एक और बहुभाषी कविता पाठ की विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, ‘आदिवासी भाषाओं से रचना पाठ’ बीटी ललिता नायक अध्यक्षता करेंगी। 

इसी तरह से 17 जून के सत्र में आदिवासी लेखकों के समक्ष चुनौतियों एवं रचनापाठ की अध्यक्षता अनिल बर, गैर मान्यता प्राप्त भाषाओं में वाचिक महाकाव्य की महेंद्र कुमार मिश्र, साहित्य एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एसएल भैरप्पा, बहुभाषी कविता पाठ की माधव कौशिक, अस्मिता लेखिका सम्मिलन की पारमिता सतपथी, मीडिया, साहित्य एवं स्वाधीनता आंदोलन पर बलदेव भाई शर्मा अध्यक्षता करेंगे। 

बहुभाषी कहानी पाठ की मनमोहन, बहुभाषी कविता पाठ की सुबोध सरकार, सुरजीत पातर अध्यक्षता करेंगे। 18 जून को ‘मैं क्यों लिखता हूं, लिखती हूं’ की अध्यक्षता रघुवीर चौधरी करेंगे। इस तरह से कार्यक्रमों की एक लंबी रूपरेखा बनाई गई है।