उप मंडल का केंद्रीय कस्बा शिलाई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है पांच वर्ष पहले उप मंडल स्तरीय ग्राम पंचायत शिलाई में नई सोच के साथ युवाओं का बुजुर्गो ने साथ देकर पंचायत प्रधान चुना था परिसर को स्वच्छ, सुंदर बनाने सहित ज्वलंत समस्याओं का समाधम प्रमुखता रही, लेकिन पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद समस्याओं के समाधान को पंख नही लग पाए है सरकार का करोड़ो रूपये खर्च होने पर भी रास्ते, गालिया, सड़के, बिजली, पेयजल सहित कोई बड़ी सार्वजनिक योजना नही बन पाई है केवल फाइलों के पेट कागज़ों से भरे गए है।
शिलाई कस्बे के अंदर स्ट्रीट लाइट व कूड़ा-कचरा प्रबंधन के लिए कोई योजना नही बन पाई है। आलम यह है कि रात को शिलाई बाजार श्मशानघाट से कम नही लगता है। पूरे बाजार में घनघोर अंधेरा छाया रहता है अधिक समस्या आपात काल स्थिति में रहती है, बाजार के चारो तरफ कूड़ा कचरा फैला होने के कारण बाजार में बदबू चलती रहती है कई स्थानों पर तो मुह पर रुमाल व मास्क बांधना जरूरी हो गया है कूड़े को साफ करने वाली नीतियां बनाई जरूर गई लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली व पंचायत के अंदर पैसा बटोरने वाली नीतियों के आगे धराशाई है।
स्वच्छता अभियान के तहत लाखों रुपये फाइलों के कागज खा गए है इतना ही नही बल्कि शिलाई प्रशासनिक अधिकारियों व स्कूल प्रबन्धनों द्वारा स्कूली बच्चों की पढ़ाई बाधित करके दर्जनों जागरूकता रेलिया निकाली गई है लेकिन मौका पर स्थिति सुधरने की जगह अधिक बिगड़ गई है।
सत्ताधारी नेताओं व भ्रष्टाचारी कर्मचारियों के लिए स्कीमें बनाई जाती है जनता के खून पसीने की कमाई को डकारने के लिए कायदे-कानून को दरकिनार किया जाता है। आश्चर्य इस बात से हो रहा है कि शिलाई पंचायत समिति के अंतर्गत एसडीएम, तहसीलदार, बीडीओ, बीएमओ,एसएचओ सहित जलशक्ति विभाग अधिशासी अभियंता, लोनिवि अधिशासी अभियंता व विधुत बोर्ड सहायक अभियंता सहित प्रथम क्षेणी ज्यूडिशियल कार्यालय स्थित है।
सभी कार्यालय बाजार में 500 मीटर दायरे में स्थित है इतना ही नही बल्कि वर्तमान सरकार में प्रदेश खाद्य आपूर्ति निगम उपाध्यक्ष भी स्थानीय पंचायत निवासी है बावजूद उसके भ्रष्टाचार चरम पर नजर आता है, जांच के नाम पर मात्र औपचारिकताएं नजर आती है जिसका सीधा ख़ामियाज़ा पंचायत की जनता को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगो ने नाम न छापने की स्तिथि पर बताया कि यदि नाम बताते है तो नेताओं सहित अधिकारियों का दबाव उन पर आ जाता है।
ग्राम पंचायत प्रधान देवेंद्र धीमान बताते है कि पंचायत में भ्रष्टाचार फैलाने की शिकायतें झूठी है जितने कार्य स्वीकृत हुए है सभी मौका पर है कुछ कार्य की बजट न आने से अधर में लटके है कूड़ा कचरा व स्ट्रीट लाइटों को लेकर विकास अधिकारी के माध्यम से सरकार को बजट के लिए प्रोजेक्ट भेजा गया है।