मौसम की मार : सेब बॉक्स की डिमांड 40 फीसदी कम आई, गत्ता उत्पादकों की बढ़ी चिंताएं   

मौसम की मार का असर जहां सेब उत्पादकों पर हुआ है, वहीं प्रदेश के गत्ता उद्योग भी इससे अछूते नहीं रहे। बीबीएन के गत्ता उद्योगों में इस वर्ष बीते वर्ष के मुकाबले 40 फीसदी तक ही सेब कार्टन तैयार करने की मांग आई

मौसम की मार : सेब बॉक्स की डिमांड 40 फीसदी कम आई, गत्ता उत्पादकों की बढ़ी चिंताएं   

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन      03-07-2023
 

मौसम की मार का असर जहां सेब उत्पादकों पर हुआ है, वहीं प्रदेश के गत्ता उद्योग भी इससे अछूते नहीं रहे। बीबीएन के गत्ता उद्योगों में इस वर्ष बीते वर्ष के मुकाबले 40 फीसदी तक ही सेब कार्टन तैयार करने की मांग आई है। इससे मंदी की मार झेल रहे गत्ता उत्पादकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। 

बीते वर्ष जहां 450 करोड़ पेटी सेब कार्टन बीबीएन के गत्ता उद्योगों में तैयार किए गए थे, वहीं इस वर्ष अभी तक मात्र 250 करोड़ पेटियों की मांग ही उद्योगों में पहुंची है।

पिछले साल की तुलना में इस बार सेब के गत्ते की पेटियां के दाम भी 10 से 12 रुपये तक कम हो चुके हैं। प्रदेश में 250 गत्ता उद्योग हैं, जिनमें 40 फीसदी उद्योगों में सेब के डिब्बे तैयार होते हैं। 

प्रदेश में सबसे ज्यादा बद्दी की हिम पेकवेल, जसमेर पैकर, कालाअंब की शिवालिक कंपनी, अल्फा कंटेनर, भवानी इंटर प्राइजिज समेत एक दर्जन से अधिक उद्योग सबसे ज्यादा सेब के डिब्बे तैयार करते हैं।


लेकिन इस बार इन गत्ता संचालकों को व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है। उत्पादकों के अनुसार सेब में जब फ्लावरिंग का समय था तो मौसम ठंडा रहा। फूल पूरी तरह से आया नहीं। उसके बाद बारिश होती रही। वहीं, उसके बाद दाना पड़ते ही ओलावृष्टि शुरू हो गई और दाना गिर गया। 

ऐसे में इस बार अब करीब दो करोड़ सेब के डिब्बे बीबीएन में कम तैयार होंगे। गत्ता उद्योग संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुकेश जैन ने कहा कि सेब डिब्बे की कम मांग को देखते हुए उन्होंने एक, दो और तीन किलो के डिब्बे भी तैयार किए हैं। 

उन्होंने प्लास्टिक के क्रेट भी तैयार किए हैं। एफसीबीएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष गरीश सरदाना ने बताया कि सेब की पैदावार कम होने का सीधा असर उनके व्यवसाय पर पड़ा है। इस साल पिछले साल की अपेक्षा 40 फीसदी सेब के बॉक्स की मांग कम आई है। पहले जून की शुरुआत में बॉक्स की मांग आनी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष जून के अंत तक भी काफी कम मांग आई है।