यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन 29-10-2020
उतर प्रदेश के हाथरस, बलराम और बाराबांकी में दलित लड़कियों के साथ बलात्कार को दलित शोषण मुक्ति मंच ने नाहन में धरना दिया। कालीस्थान तालाब से मुक्ति मंच ने नारेबाजी करते हुए डीसी ऑफिस प्रांगण में भी कुछ समय के लिए धरना दिया। इसके बाद मंच ने डीसी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
दलित शोषण मुक्ति मंच के संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय मंच के आह्वान पर जिला दलित शोषण मुक्ति मंच ने नाहन में धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित प्रदेशों में दलित बेटियों और महिलाओं के साथ बलात्कार व छेड़छाड़ कि जा रही है|
आशीष कुमार ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार दलित महिलाओं व दलितों को सुरक्षा देने के बजाय आरोपियों को बचाने का कार्य कर रही है। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहां गई 14 सितंबर 2020 को हाथरस में दलित लड़की के साथ जो जघन्य कांड हुआ है उसे पूरा देश शर्मसार हुआ है।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार आरोपियों को सजा दिलाने की बजाय उन्हें बचाने में लगी हुई है। यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन का प्रशासन भी आरोपियों को बचाने में लगा हुआ है। राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में दलित शोषण मुक्ति मंच में उत्तर प्रदेश में हुई बलात्कार व हत्या कांड की घटनाओं की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से करवाने की मांग की है।
उन्होंने राष्ट्रपति से यही मांग की है कि योगी सरकार दलितों व महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हुई है लिहाजा ऐसी सरकार को बर्खास्त कर उन पर कानूनी कार्यवाही भी की जानी चाहिए। दलित शोषण मुक्ति मंच ने मांग पत्र में गलत व झूठी बयानबाजी करने व आरोपियों को बचाने के प्रयास के लिए हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट पुलिस अधीक्षक तथा डीजीपी को तुरंत बर्खास्त करने की भी मांग रखी।
उन्होंने मांग की है कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून 19 सौ 89 को सख्ती से लागू किया जाए। इस दौरान दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर इकाई के द्वारा नारेबाजी व प्रदर्शन भी किया गया।
ज्ञापन सौपे जाने के दौरान हिमाचल प्रदेश महिला जनवादी समिति की अध्यक्ष संतोष कपूर, सीटू राज्य सचिव राजेंद्र ठाकुर , लाल सिंह , अमरचंद , नैन सिंह , परसराम , अमिता चौहान आदि मौजूद रहे। दलित शोषण मुक्ति मंच ने चेतावनी देते हुए भी कहा कि अगर दलितों के ऊपर इसी प्रकार अत्याचार जारी रहे और उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो उग्र आंदोलन भी छोड़े जाएंगे।