सरकार के खिलाफ फिर से सड़कों पर उत्तरी फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति , धरना-प्रदर्शन के साथ जमकर की नारेबाजी

फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति/ भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच / किसान सभा द्वारा भूमि अधिग्रहण 2013 कानून (पुनस्र्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआवजा) को हिमाचल में लागू करवाने के लिए सेरी मंच से उपायुक्त कार्यालय तक केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया

सरकार के खिलाफ फिर से सड़कों पर उत्तरी फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति , धरना-प्रदर्शन के साथ जमकर की नारेबाजी
 
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी  19-09-2022
 
फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति/ भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच / किसान सभा द्वारा भूमि अधिग्रहण 2013 कानून (पुनस्र्थापना, पुनर्वास व चार गुना मुआवजा) को हिमाचल में लागू करवाने के लिए सेरी मंच से उपायुक्त कार्यालय तक केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। 
 
 
साथ ही मांगों को लेकर जिला उपायुक्त अरिंदम चौधरी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भेजा। इस दौरान भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच के अध्यक्ष बीआर कौंडल और फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगेंद्र वालिया ने कहा कि प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण 2013 कानून को हिमाचल में लागू नहीं कर रही है, जबकि 2018 में मंत्री स्तर पर एक समिति गठित की गई थी। 
 
 
जिसमें पुनर्स्थापना , पुनर्वास तथा भूमि अधिग्रहण 2013 के अनुसार फैक्ट्री को लागू करने की बात तय हुई थी, लेकिन साढ़े चार वर्ष बीत जाने के बावजूद भी हिमाचल सरकार अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं ले पाई है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच प्रदेश सरकार से मांग करता है कि भूमि अधिग्रहण 2013 कानून के सभी प्रावधानों को हिमाचल सरकार लागू करें और 1 अप्रैल, 2015 की अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाए। 
 
 
उन्होंने कहा कि जमीन व मकानों का मुआवजा बिना डेप्रिसिएशन के वर्तमान दरों पर 12 प्रतिशत ब्याज सहित एवं किराए पर चला रहे दुकानदारों को पुनर्वास के लिए मुआवजा दिया जाए और जमीन व मकान के अवार्ड जो घोषित किए जा चुके हैं, उनका मुआवजे का भुगतान राष्ट्रीय उच्च मार्ग भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा अतिशीघ्र किया जाए तथा भुगतान में देरी पर 12 प्रतिशत ब्याज भी दिया जाए। 
 
 
उन्होंने कहा कि स्थानीय पंचायतों को टोल मुक्त किया जाए और स्थानीय लोगों को सभी परियोजनाओं में 70 फीसदी रोजगार स्वीकृत किए जाए। उन्होंने कहा कि उचित मांगों का सरकार तुरंत निपटारा करें अन्यथा समस्याओं के शीघ्र समाधान ना होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच राज्य स्तरीय आंदोलन करने पर मजबूर होगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य केंद्र सरकार व राष्ट्रीय उच्च मार्ग के अधिकारियों की होगी।