यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 28-08-2022
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस बार सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। 2018 के बाद पहली बार इस वर्ष बारिश में 1721 करोड़ रुपए की सरकारी और निजी संपत्ति तबाह हुई। चिंता इस बात को लेकर है कि मानसून का अभी लगभग एक महीना बचा हुआ है। वर्ष 2018 में सबसे ज्यादा 1578.08 करोड़ का नुकसान मानसून सीजन में हुआ था।
लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 940.27 करोड़ रुपए, जल शक्ति विभाग को 708.95 करोड़, बिजली बोर्ड को 5.62 करोड़ का नुकसान आंका गया। मानसून से पहले सूखे ने भी इस बार भारी नुकसान पहुंचाया है। अब बारिश कहर बनकर बरस रही है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, प्रदेश में पीडब्ल्यूडी की 78 सड़कें और 128 बिजली के ट्रांसफॉर्मर 7 दिन बाद भी बंद पड़े हैं।
ग्रामीणों द्वारा खुद बनाई गई सड़कों को जोड़ दें तो प्रदेश में अभी भी 200 से ज्यादा सड़कें अवरूद्ध हैं। इससे सेब की ढुलाई पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है। सड़कें बंद होने 80 से ज्यादा रूटों पर बस सेवाएं 7 दिन से बंद हैं। इससे लोगों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। इस बार मानसून में आई आपदाओं में जान गंवाने के लिहाज से 2022 बीते साल से बेहतर रहा। 2021 में 476 लोगों की जान गई थी। इस बार 270 लोगों की मौत हो चुकी है।
47 सड़क दुर्घटना में 149 की मौत, फ्लैश फ्लड की 65 घटनाओं में 5 की मौत, भूस्खलन की 75 घटनाओं में 19 की मौत, बादल फटने की 12 घटनाओं में 3 की मृत्यु, डूबने की 12 घटनाओं में 30 की मौत, पेड़ व पहाड़ से गिरने की 35 घटनाओं में 35 की मौत और अन्य 29 कारणों से 49 की जान गई है। हिमाचल सरकार ने अब इसकी मुआवजा राशि पांच लाख रुपए कर दी गई है।
राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार बिजली के करंट से होने वाली मृत्यु पर सरकार पांच लाख रुपए मुआवजा प्रदान करेगी। इस राहत मैनुअल में फौरी तौर पर प्रभावित परिवार को एक लाख रुपए तुरंत राहत दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने करंट से लगने वाली मौतों के मामलों में न्यूनतम राहत राशि भी तय की है।
करंट लगने से पेश आने वाले हादसे में घायल को इलाज के लिए ले जाने की स्थिति में दस हजार रुपए की तुरंत सहायता राशि जारी करने के आदेश दिए हैं। हादसे के कारण दिव्यांग होने पर सहायता राशि स्वास्थ्य जांच के बाद जारी होने वाले प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी।