हिमाचल में अब बिजली उपभोक्ताओं को ही चुकाना होगा वाटर सेस
विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस के फैसले ने बिजली बोर्ड की चिंता बढ़ा दी है। वाटर सेस का असर अब बढ़ी हुई बिजली दरों के रूप में उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली के नए रेट पर जो सुझाव भेजा
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 04-03-2023
विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस के फैसले ने बिजली बोर्ड की चिंता बढ़ा दी है। वाटर सेस का असर अब बढ़ी हुई बिजली दरों के रूप में उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली के नए रेट पर जो सुझाव भेजा है उसमें अब वाटर सेस को जोडऩे की भी बात कही जा रही है।
वाटर सेस लगने के बाद बोर्ड को बिजली महंगी खरीदनी होगी और इसकी सप्लाई पुराने रेट पर नहीं की जा सकती। आयोग अब वाटर सेस के मसले पर सरकार की राय ले रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने बीते फरवरी महीने में वाटर सेस की अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के तहत 10 पैसे से 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर सेस की वसूली की जाएगी।
जलशक्ति विभाग ने वाटर सेस के लिए कमीशन के गठन का भी फैसला किया है। प्रदेश में करीब 175 जलविद्युत परियोजनाएं हैं और इन परियोजनाओं से सरकार के खजाने में सेस के माध्यम से हर साल मोटी रकम जमा होगी, लेकिन बिजली के बिलों पर सेस का असर पड़ेगा।
इसकी आशंका अभी से बनी हुई है। बिजली दरों पर फैसले से ठीक पहले विद्युत नियामक आयोग एक और जनसुवाई करेगा। सात मार्च को जनसुनवाई तय की गई है। इस दौरान उपभोक्ता अपनी राय रखेंगे बिजली बोर्ड ने नियामक आयोग को 90 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से नई दरें तय करने का प्रस्ताव दिया है।
प्रस्ताव पर पूर्व में हुई जनसुनवाई में कारोबारियों ने व्यावसायिक बिजली को महंगा न करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव में आगामी पांच साल तक बिजली की दरें न बढ़ाने की बात कही गई है, जबकि दूसरी जनसुवाई में आयोग आम लोगों की राय भी सुनेगा और घरेलू बिजली दर पर पड़ रहे नए रेट के असर का आकलन करेगा। (एचडीएम)