43000 पहुंचा मानव भारती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का आंकड़ा , और मिली 3000 हजार जाली डिग्रियां

सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों के मामले में आये दिन नए खुलासे हो रहे है। मानव भारती विश्वविद्यालय में पहले 43 हजार जाली डिग्रियों का खुलासा हुआ था , वही अब 3000 और फर्जी डिग्रियों का पता लगा है

43000 पहुंचा मानव भारती विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का आंकड़ा , और मिली 3000 हजार जाली डिग्रियां
 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  17-01-2023

 

सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों के मामले में आये दिन नए खुलासे हो रहे है। मानव भारती विश्वविद्यालय में पहले 43 हजार जाली डिग्रियों का खुलासा हुआ था , वही अब 3000 और फर्जी डिग्रियों का पता लगा है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेशानुसार गठित कमेटी जिन 5,500 डिग्रियों की जांच कर रही थी, उनमें से 3,000 डिग्रियां मापदंडों पर खरा नहीं उतरी हैं। 

 

ऐसे में इन डिग्रियों को भी फर्जी बताया जा रहा है। फर्जी डिग्री मामले में आरोपी राजकुमार राणा की पत्नी और बेटी को ऑस्ट्रेलिया से लाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है। आरोपी राजस्थान के सरोही में भी माधव विश्वविद्यालय चला रहा है। वहां की पुलिस को भी हिमाचल में फर्जी डिग्री से संबंधित पत्र लिखा गया है। अब मामले की जांच कर रही एसआईटी और अभियोजन विभाग हाईकोर्ट को पत्र लिखकर मामले की लगातार सुनवाई करने का आग्रह करेंगे। 

 

 

मानव भारती की 2,500 डिग्रियां सही पाई गई हैं। इन विद्यार्थियों को एसआईटी ने एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेने को कह दिया है। सूत्र बताते हैं कि मानव भारती को जिस कोर्स की 50 सीटें दी गई थी , वहां 75 छात्रों को प्रवेश दिया गया। कई कोर्स ऐसे भी कराए गए, जिनकी अनुमति ही नहीं थी। इन कोर्स की सूचना विनियामक आयोग को भी नहीं दी गई। इनकी ग्रीन शीट रजिस्टर में भी एंट्री नहीं हुई है। मानव भारती विश्वविद्यालय की 43,000 डिग्रियां पुलिस जांच में पहले ही फ र्जी पाई जा चुकी हैं। पुलिस एसआईटी के अनुसार फर्जी तरीके से करवाए गए इन कोर्सों की हजारों फर्जी डिग्रियां देशभर में बेचकर करोड़ों रुपये कमाए गए हैं। 

 

मानव भारती फर्जी डिग्री मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से फरवरी में फाइनल चार्जशीट पेश की जाएगी। अभियोजन विभाग ने चार्जशीट में कुछ तथ्यों पर आपत्ति जताई थी। अब फाइनल चार्जशीट में और तथ्य डाले जा रहे हैं। कमेटी द्वारा जांच के लिए ये मापदंड तय किये गए है। 

 

इनमें विवि को संबंधित कोर्स की सीटें भरने की अनुमति ,  प्रति वर्ष कोर्स की कितनी सीटें भरने की मंजूरी , जिन छात्रों को प्रवेश दिया गया, उनकी सूचना विनियामक आयोग को दी या नहीं , हर वर्ष छपने वाले गजट और ग्रीन शीट रजिस्टर में छात्रों की एंट्री है या नहीं इसकी छानबीन की जा रही है।