अफगानिस्तान जैसे देशों से आयात करने वाली मुलेठी अब हिमाचल में भी होगी तैयार  

अफगानिस्तान जैसे देशों से आयात करने वाली मुलेठी अब हिमाचल में भी तैयार होगी। इसके लिए सीएसआईआर पालमपुर में शोध किया गया है। शोध में प्लाटिंग मैटियरल जरनेट किया गया

अफगानिस्तान जैसे देशों से आयात करने वाली मुलेठी अब हिमाचल में भी होगी तैयार  

यंगवार्ता न्यूज़ - कांगड़ा      21-02-2023

अफगानिस्तान जैसे देशों से आयात करने वाली मुलेठी अब हिमाचल में भी तैयार होगी। इसके लिए सीएसआईआर पालमपुर में शोध किया गया है। शोध में प्लाटिंग मैटियरल जरनेट किया गया है। साथ ही यह पता लगाया गया है हिमाचल में मुलेठी कहां पर हो सकती है और प्रदेश में कितनी संभावनाएं हैं। 

दिल, फेफड़ों, सर्दी, खांसी समेत कई बीमारियों के उत्पाद में शामिल की जाने वाली मुलेठी को लेकर सीएसआईआर प्राथमिक तौर पर पायलट परियोजना शुरू कर रहा है। इसमें सब ठीक पाया गया तो आने वाले दिनों में हिमाचल मुलेठी का एक बड़ा उत्पादक प्रदेश बन जाएगा। 

इससे आने वाले दिनों में हिमाचल का किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा। फिलहाल भारत अफगानिस्तान और चीन जैसे देशों से सालाना करीब 8047 टन मुलेठी का आयात करता है। हालांकि, मुलेठी भारत में यह राजस्थान के कुछ इलाकों, मेरठ आदि में होती है।

अभी तक इसका उपयोग कुछ हर्बल दवाइयों तक ही सीमित है लेकिन अब सीएसआईआर पालमपुर इसे एक बड़े उत्पादन के तौर पर देख रहा है। इसके लिए जल्द पायलट परियोजना किसानों की खेतों में शुरू की जा रही है। सीएसआईआर के शोध में प्रदेश में मुलेठी के खेती के लिए हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, ऊना, सोलन और सिरमौर जिले संभावित हैंए जहां पर इसकी शुरुआत की जा सकती है। 

वैज्ञानिकों की मानें तो मुलेठी एक महत्वपूर्ण बारहमासी झाड़ी है, जिसकी जड़ें ग्लाइसीर्रिजिन की उपस्थिति के कारण मीठी होती हैं जो कि सुक्रोज की तुलना में 50 गुना अधिक मीठा होता है। मुलेठी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में छाती व फेफड़ों के रोगों, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, किडनी रोग, हृदय रोग, खांसी, निम्न रक्तचाप, यकृत विषाक्तता, खांसी, सर्दी, वायरल फ्लू संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। 

जबकि इसका प्रयोग हर्बल दवाओं में प्राकृतिक स्वीटनर तथा कैंडी और तंबाकू में स्वादवर्दक के रूप में भी किया जाता है। मुलेठी अब तक मुख्य रूप से अफगानिस्तान उगाया जाता है। छोटे उत्पादक देशों में पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भारत भी शामिल हैं।

सीएसआईआर पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि हिमाचल में मुलेठी का पहली बार बड़े पैमाने में खेती करने के लिए एक पायलट परियोजना की शुरुआत की जा रही है। इसके परिणाम अच्छे रहे तो आने वाले दिनों में हिमाचल मुलेठी का एक बड़ा उत्पादक प्रदेश बन सकता है। इसे बड़ा प्रोडेक्ट बनाने के लिए सीएसआईआर ने शोध किया है।