आयुर्वेदा विभाग के माध्यम से किन्नौर में कपिंग थैरेपी से 109 लोगों का किया उपचार 

प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय परम्परा चिकित्सा पद्धति को आयुर्वेदा विभाग के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला किन्नौर के रिकांग पिओ स्थित आयुर्वेदिक विभाग में भी अस्पताल में भी आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा

आयुर्वेदा विभाग के माध्यम से किन्नौर में कपिंग थैरेपी से 109 लोगों का किया उपचार 

यंगवार्ता न्यूज़ - किन्नौर     07-07-2023

प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय परम्परा चिकित्सा पद्धति को आयुर्वेदा विभाग के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला किन्नौर के रिकांग पिओ स्थित आयुर्वेदिक विभाग में भी अस्पताल में भी आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है और लोगों के उपचार किए जा रहे हैं।

जिला आयुर्वेदिक अस्पताल द्वारा श्रृंग चिकित्सा थैरेपी (कपिंग चिकित्सा पद्धति) के माध्यम से लोगों में वात-विकार, वायु-विकार, गर्दन-दर्द, कंधे का दर्द, जोड़ो का दर्द, पीठ दर्द, अंगो में शून्यता या सुन्न पड़ना, साईटिका आदि रोगों का उपचार किया जा रहा है।

किन्नौर में श्रृंग चिकित्सा थैरेपी (कपिंग चिकित्सा पद्धति) अप्रैल, 2023 से नाको गांव में आरंभ की गई। जिले के नाको गांव में अप्रैल से जून माह तक 55 व्यक्तियों तथा चारंग गांव में 15 व्यक्तियों का इस चिकित्सा पद्धति के माध्यम से उपचार किया गया। 

जिला आयुर्वेदिक अस्पताल रिकांग पिओ में मई माह से जून माह तक 39 मरीज़ों का उपचार किया गया। कपिंग चिकित्सा पद्धति के समय मरीज के शरीर के विभिन्न भागों में कप लगाए जाते हैं तथा कपों में वैक्यूम बनाया जाता है जिससे मरीज के शरीर में भी वैक्यूम बनता है। 

नसों में खून की पूर्ति अच्छे प्रकार से सुनिश्चित होती है। इस चिकित्सा पद्धति में मरीज के शरीर में 10 से 15 मिनट तक कप लगाए जातें हैं व मरीज की हालत को देखते हुए उपचार का समय निर्धारित किया जाता है।

यह थैरेपी दो प्रकार की होती है, एक सूखे प्रकार की एक गीले प्रकार की। गीले प्रकार की थैरेपी में मरीज के शरीर से बहुत ही कम मात्रा में खून आने की संभावना रहती है, परंतु इससे मरीज को कोई नुकसान नहीं होता तथा एक या दो दिनों में इसके निशान भी खुद मिट जाते हैं। किन्नौर में श्रृंग चिकित्सा पद्धति के प्रभावी प्रणामी स्वरूप लोगों में इस चिकित्सा पद्धति का चलन भी बढ़ रहा है।