इंटरनेट कनेक्टिविटी ना होने के कारण बच्चों को 2 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर लगानी पड़ रही कक्षाएं  

इंटरनेट कनेक्टिविटी ना होने के कारण बच्चों को 2 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर लगानी पड़ रही कक्षाएं  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   19-05-2021

जुब्बल कोटखाई की पंचायत गराउग में मोबाइल सिग्नल की दिक्कत होने के चलते बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंटरनेट कनेक्टिविटी ना होने के कारण बच्चों को 2 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर कक्षाएं लगानी पड़ रही हैं। 

समाजसेवी अजय भेरटा ने मांग उठाई है कि हम पूरी तरह से इंटरनेट पर डिपेंड है, हमारा बैंकिंग सिस्टम से लेकर अन्य बिलों को जमा करना इंटरनेट पर निर्भर है। इस कारण बड़ा नुकसान हो रहा है। 

नेट कनेक्टिविटी ना होने के कारण बच्चों को भी उन्हें दूर-दूर तक नेट ढूंढने जाना पड़ता है, लेकिन वह भी बहुत मुश्किल से मिल पाता है। पूरी पंचायत में लगभग 80 प्रतिशत एरिया ऐसा है, जहां पर कनेक्टिविटी नहीं है। 

उनका कहना है कि जल्द ही सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाएगा। हमें उम्मीद है कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए इस पर जल्द ही अमल किया जाए।

अभिभावक पवन चौहान, विक्रम चौहान, मुकेश, श्यामलाल और अक्षय का कहना है कि सिग्नल ना होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। 

गांव के साथ लगते जंगल में कई कंपनी के सिग्नल आते हैं। सुबह बच्चों को साथ ले जाकर वहां पर ऑनलाइन पढ़ाई करवाते हैं। शाम को यहां से वापस आ जाते हैं। ऐसे में इन दिनों यह हमारा रुटीन हो गया है। 

गराउग में बीएसएनल की ओर से टावर लगाया गया है, लेकिन यह टावर अक्सर खराब रहता है। इंटरनेट कनेक्टिविटी काफी पुअर है और मौसम खराब रहने पर यहां पर सिग्नल बिल्कुल भी नहीं आता है। 

पंचायत की लगभग 2000 आबादी को सिग्नल के लिए तरसना पड़ रहा है। लोगों का आरोप है कि कुछ समय पहले कंपनियों ने यहां पर सर्वे तो किया था लेकिन टावर लगाने के लिए कोई भी आगे नहीं आ रही है।

सेब उत्पादक क्षेत्रों में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन जुब्बल कोटखाई और चौपाल क्षेत्र में होता है। विश्व भर में यहां का सेब प्रसिद्ध है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यहां पर इंटरनेट सुविधा अभी तक लोगों को सही ढंग से नहीं मिल पाई है। 

लोगों का आरोप है कि सुविधा देने के लिए कोई भी कंपनी आगे नहीं आती है। सरकार से भी बार-बार इस संबंध में आग्रह किया जाता है। इसके बावजूद भी किसी तरह की सहायता नहीं की जाती है।