ईमानदारी का लबादा ओढ़ने वाले विधायक की खुली पोल, वोट के लिए भ्रष्टाचारी पूर्व प्रधान से किया समझौता
हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में पांचवीं बार शिलाई से विधायक चुने गए ईमानदार नेता की पोल एक बार फिर खुल गई है। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो होने के बाद ईमानदारी का लबादा ओढ़ने वाले विधायक के इमानदारी की पोल स्थानीय लोगों ने खोल दी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिलाई 10-11-2022
हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में पांचवीं बार शिलाई से विधायक चुने गए ईमानदार नेता की पोल एक बार फिर खुल गई है। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो होने के बाद ईमानदारी का लबादा ओढ़ने वाले विधायक के इमानदारी की पोल स्थानीय लोगों ने खोल दी है।
बता दें कि जब शिलाई निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत च्योग के पूर्व प्रधान भाजपा में शामिल थे। तो उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही आरटीआई से भ्रष्टाचार का रिकार्ड खंगालने की बाते भी सामने आई थी। तत्कालीन प्रधान पर लाखों रुपये का घोटाला करने के आरोप लगाए गए थे। लेकिन चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस प्रत्याशी ने भ्रष्टाचार फेलाने वाले तत्कालीन प्रधान को अपने खेमे में अदब के साथ शामिल कर लिया।
जिसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी की ईमानदारी और मतलबपरस्ती के चर्चे आम लोगों की जुबान पर खुले आम हो रहे है। जब, विधायक और पूर्व प्रधान की दूरियां थी। तो कांग्रेस प्रत्याशी जनसभाओं में कहा करते थे कि बीजेपी भ्रष्टाचारी प्रधानों का अड्डा है।
मस्तभोज क्षेत्र के लोगों ने आरोप लगाते हुए बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी की कथनी और करनी में फर्क है। यह केवल इमानदारी का दिखावा करते हैं। विकास के नाम पर पिछले 70 सालों में मस्तभोज क्षेत्र का कोई भी विकास नही हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी ने केवल बोटों की राजनीति करते हुए अपनेपन का अलाप जपकर गुमराह किया है।
मस्तभोज क्षेत्र में दलित समाज के लोगों की माने तो उनको गिरिपार जनजातीय क्षैत्र मामले को लेकर गुमराह किया गया है। क्षेत्र का दलित समाज भी जनजातीय दर्जा लेना चाहते है। लेकिन राजनेतिक लाभ लेने वाले आकाओं के कारण मस्तभोज के लोगों को गुमराह किया है। इसलिए इस बार कांग्रेस के गृह क्षेत्र के लोग क्षैत्र में हुए विकास के साथ खड़े है। और विकास के नाम पर ही अपना पक्ष देने के मुड़ में नजर आ रहे है।
अलबत्ता, कांग्रेस प्रत्याशी की गृह क्षेत्र और कांग्रेस का एकतरफा गढ़ कहां जाने वाला मस्तभोज क्षेत्र कांग्रेस की अनदेखी का शिकार हुआ नजर आ रहा है। यहां अपनेपन का कार्ड खेलकर कांग्रेस हमेशा एकतरफा कार्यवाही करती आई है। लेकिन इस बार लोग कांग्रेस प्रत्याशी के बहकावे से बाहर निकलकर विकास करवाना चाहते है।
उल्लेखनीय है कि गत दिनों कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा शिलाई बीडीओ कार्यालय में कई प्रधानों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। और विधायक बाकायदा बीडीओ ऑफिस में धरने पर बैठे थे। लेकिन जिन प्रधानो पर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वहीं प्रधान और पूर्व प्रधान अब कांग्रेस खेमें का कुनुवा बचाने में लगे है। इनके खिलाफ विधायक क्यों धरने पर नही बैठे या फिर कब कांग्रेसी प्रधानों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस आंदोलन करेगी।
यह आम जनमानस की जुबान पर है। बात यह भी सामने आ रही है कि जिस विधायक एकतरफा राज करने के बावजूद अपने गृह क्षेत्र को ही अनदेखा किया हो, उनसे विधानसभा क्षैत्र के विकास की कितनी उम्मीद की जा सकती है? यह बातें चुनावी नतीजों में बड़ा फेरबदल कर सकती है।