इस बार हिमाचली सेब होगा महंगा, कार्टन और पैकिंग ट्रे के दामों में 18 फीसदी तक की बढ़ोतरी

इस बार देशवासियों को हिमाचली सेब महंगा मिलेगा। इसका कारण यह है कि कार्टन और पैकिंग ट्रे के दामों में करीब 18 फीसदी तक की बढ़ोतरी

इस बार हिमाचली सेब होगा महंगा, कार्टन और पैकिंग ट्रे के दामों में 18 फीसदी तक की बढ़ोतरी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    03-06-2022

इस बार देशवासियों को हिमाचली सेब महंगा मिलेगा। इसका कारण यह है कि कार्टन और पैकिंग ट्रे के दामों में करीब 18 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में पहले सूखे की मार और अब कार्टन और महंगी ट्रे से बागवानों की परेशानी बढ़ गई है। 

बीते साल के मुकाबले इस साल कार्टन की कीमतें प्रति पेटी 8 से 15 रुपये बढ़ी हैं। श्री भगवती इंडस्ट्रीज बद्दी के संचालक प्रिंकल खन्ना का कहना है कि इस साल कार्टन की कीमतें 15 से 18 फीसदी बढ़ी हैं। पेपर मिलों का कहना है कि जीएसटी 12 से बढ़कर 18 फीसदी होना, आयातित कच्चा माल महंगा होना, यूक्रेन-रूस युद्ध से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होना, डीजल और स्टार्च के रेट बढ़ना इसके कारण हैं।

इससे बागवानों को ही नहीं, बल्कि ग्राहकों पर भी महंगाई की मार पड़ेगी। ग्राहकों को भी सेब महंगे दामों पर मिलेगा। प्रदेश में करीब 1.20 लाख परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सेब कारोबार से जुड़े हैं। प्रदेश में सालाना 5,000 करोड़ रुपये का सेब कारोबार होता है। प्रदेश के सात जिलों शिमला, कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा, लाहौल-स्पीति, सोलन में सेब की पैदावार होती है। 

हिमाचल प्रदेश प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि कार्टन की कीमतें बढ़ने से बागवान परेशान हैं। मुख्यमंत्री से अपील है कि फलों और सब्जियों की पैकिंग में इस्तेमाल कार्टन को जीएसटी मुक्त करें। सरकार सीधे तौर पर कार्टन की कीमतें कम नहीं कर सकती, इसलिए जीएसटी हटा कर राहत दी जाए।

हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन का आगाज हो गया है। शिमला की फल मंडी में अर्ली वैरायटी के रेड जून सेब ने दस्तक दे दी है। शिमला की अनूप फ्रूट कंपनी में शिमला जिले के ठियोग मतियाना के बागवान सुशील चंदेल (टीनू) की रेड जून सेब की 10-10 किलो की 15 पेटियां 750 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिकी हैं। 

उत्तर प्रदेश के शमीम अहमद ने यह इन्हें खरीदा है। शुरुआत में भले ही सेब 75 रुपये थोक रेट पर बिका है, लेकिन कार्टन की बढ़ी कीमतों ने बागवानों को परेशानी में जरूर डाल दिया है।