यंगवार्ता न्यूज़ - रिकांगपिओ 26-08-2021
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले किन्नौर में बढ़ती जा रही प्राकृतिक आपदाओं के बाद किन्नौर बचाओ, हिमालय बचाओ का नारा जोर-शोर से उठने लगा है। गुरुवार को जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे।
जोरदार नारेबाजी कर लोगों ने जनजातीय जिले के अस्तित्व को बचाने की मांग उठाई। विभिन्न संगठनों ने कार्यवाहक उपायुक्त अश्वनी कुमार के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन भेजा।
हिमलोक जागृति मंच किन्नौर, जिला वन अधिकार संघर्ष समिति किन्नौर, जंगी थोपन पोवारी प्रभावित संघर्ष समिति, हांगरंग संघर्ष समिति और जिले के लोगों ने रामलीला मैदान से लेकर पीएनबी चौक तक रोष रैली निकाली। इसके बाद रैली वापस रामलीला मैदान पहुंची। यहां वक्ताओं ने विचार रखे।
सरकार को भेजे ज्ञापन के माध्यम से जिले के बटसेरी और निगुलसरी में हुई भूस्खलन की घटनाओं की जांच करने और प्रभावित स्थानों को चिन्हित कर सुरक्षा के उचित प्रबंधन की मांग की गई है। युवाओं की ‘नो मीन्स नो’ मुहिम का भी समर्थन किया गया।
आरोप लगाया कि वर्ष 2019 में जनजातीय संपत्ति को गैर जनजातीय लोगों को हस्तांतरित कर जनजातीय कानूनों को ताक पर रखा गया है। 804 मेगावाट जंगी थोपन पोवारी जल विद्युत परियोजना के लिए सतलुज जल विद्युत निगम, सरकार और जिला प्रशासन की सभी कार्रवाई और गतिविधियों को तुरंत प्रभाव से रोककर परियोजना को रद्द करने की मांग की गई।
कहा गया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत भरे गए दावों का सत्यापन कर तुरंत निपटारा किया जाए। नौतोड़ नियम की संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत योग्य संशोधन लगाकर भूमि देने सहित कई अन्य मांगों को लेकर सरकार से निपटारे की मांग उठाई गई।
इस दौरान हिमलोक जागृति मंच किन्नौर एवं जिला वन अधिकार समिति अध्यक्ष जिया लाल नेगी, हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह, हिमधरा पर्यावरण समूह संस्थापक सदस्य मांशी आशर, लाहौल-स्पीति एकता मंच रिगजिन हायरप्पा, स्पीति सिविल सोसायटी के सोनम तारगे, ताकपा तेनजिन, जंगी थोपन प्रभावित संघर्ष समिति अध्यक्ष सुंदर नेगी, किशोर नेगी, हांगरंग संघर्ष समिति अध्यक्ष शांता कुमार, जिप उपाध्यक्ष प्रिया नेगी, हितेश नेगी, सरिता नेगी, मीरा नेगी और विजेंद्र नेगी सहित अन्य मौजूद रहे।
कार्यवाहक उपायुक्त किन्नौर एवं एडीएम पूह अश्वनी कुमार ने बताया कि भू-वैज्ञानिकों की सर्वे रिपोर्ट में पाया गया है कि यह घटना कोई मैन मेड नहीं है। यह एक प्राकृतिक त्रासदी थी। भू-वैज्ञानिकों के सर्वे में पाया गया है कि पहाड़ियां अति संवेदनशील हैं। इसके लिए लूज चट्टानों को बिना विस्फोट किए ही गिराना होगा।
पहाड़ी के भीतर पानी न रिसे, इसके के लिए जल्द कोई स्थायी बंदोबस्त करना होगा। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से नेशनल हाईवे प्राधिकरण को दिशा निर्देश दिया गया है। इस पर कार्य चल रहा है।
नेशनल हाईवे प्राधिकरण के एक्सईएन रामपुर और किन्नौर केएल सुमन ने कहा कि नेशनल हाईवे प्राधिकरण निगुलसरी में संभावित क्षेत्रों में पहाड़ी पर प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम बनाया जा रहा है। इसके लिए मजदूर तैनात कर लिए गए हैं। पहाड़ी पर लूज प्वाइंट को गिराने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।