अब देश की सरजमीं पर विकसित होगा विदेशी फल एवोकाडो , उद्यान विभाग ने शुरू किया ट्रायल...

अब देश की सरजमीं पर विकसित होगा विदेशी फल एवोकाडो , उद्यान विभाग ने शुरू किया ट्रायल...

यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना   22-12-2020

विदेशी एवोकाडो फल के पौधों को विकसित करने के लिए उद्यान विभाग ने ट्रायल शुरू कर दिया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से हिमाचल प्रदेश के ऊना की हरोली उपमंडल की सलोह बागवानी नर्सरी में 10 पौधे लगाए गए हैं। 

इन पौधों को विकसित करने के लिए विभाग की ओर से करीब 5 से 7 वर्षों तक अपनी निगरानी रखनी होगी। उसके बाद इन पौधों पर फल आने के बाद विभाग की ओर से इसकी ट्रायल रिपोर्ट तैयार कर सरकार को जाएगी।  

एवोकाडो को एलीगेटर नाशपाती के रूप में भी जाना जाता है, जो मुख्य रूप से मगरमच्छ के आकार और त्वचा की चमड़ी के जैसा होता है। एवोकाडो फल एवोकाडो नामक पेड़ से आता है, जो करीब 65 फीट तक लंबा होता है। 

पहले एवोकाडो सिर्फ पूएब्ला और मेक्सिको में उगता था और वहीं पर मिलता था, लेकिन इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के कारण यह फल अब कई देशों में उगाया जाने लगा है। इसकी बहुत मोटी त्वचा होती है। जिसके कारण यह फल कीटनाशकों से बच जाता है।

एवोकाडो आमतौर पर कच्चा ही खाया जाता है, इसके अतिरिक्त के इसका प्रयोग मिठाई और सलाद के रूप में भी किया जाता है।

एवोकाडो विभिन्न पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों में समृद्ध हैं। यह मोनोउंसचुरटेड फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत भी हैं और इसमें शुगर भी बहुत कम मात्रा में होता है। 

इसके अतिरिक्त यह ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हैं और इसमें कई आवश्यक विटामिन और खनिज उपस्थित होते हैं। एवोकाडो में कैल्शियम, लौह, मैग्नीशियम, पोटेशियम, तांबा, मैंगनीज, फॉस्फोरस और जस्ता होता है। 

इसके अतिरिक्त एवोकाडो का फल खाने से कॉंन्स्टिपेशन या कब्ज का इलाज, मौखिक स्वास्थ्य, त्वजा और बालों की देखभाल की मदद, जिगर की देखभाल, विजन में सुधार, गुर्दा स्वास्थ्य, गर्भावस्था के दौरान सुबह की बीमारी, वजन प्रबंधन, कैंसर विरोधी गुण, रक्त ग्लूकोज स्तर ठीक रहता है।

उद्यान उपनिदेशक डॉ. सुभाष धीमान ने बताया कि एवोकाडो एक विदेशी फल है, जो भारत में एवोकाडो की पैदावार ज्यादा नहीं होती है।

इसकी दक्षिण भारत के कुछ ही क्षेत्रों में व्यावसायिक रूप से पैदावार की जाती है। जिन क्षेत्रों में इस फल की खेती ज्यादा होती हैं, उनमें तमिलनाडु की पहाड़ी ढलानों, महाराष्ट्र में कूर्ग, केरल और कर्नाटक के सीमित क्षेत्र शामिल हैं।