एजेंसी की मिस मैनेजमेंट की वजह से हुआ हादसा , सोलन पहुंचने पर एवरेस्ट विजेता बलजीत कौर ने किया खुलासा 

माउंट एवरेस्ट विजेता हिमाचल प्रदेश की बेटी बलजीत कौर अन्नपूर्णा चोटी फतेह करके अपने प्रदेश वापस लौट आई है। सोलन पहुंचने पर बलजीत कौर का भव्य स्वागत किया गया और यहां उन्होंने अपने साथ हुए हादसे की कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि वे 48 घंटे अन्नपूर्णा चोटी पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रहीं, लेकिन देश के लोगों की दुआएं साथ र

एजेंसी की मिस मैनेजमेंट की वजह से हुआ हादसा , सोलन पहुंचने पर एवरेस्ट विजेता बलजीत कौर ने किया खुलासा 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन   29-04-2023
 
माउंट एवरेस्ट विजेता हिमाचल प्रदेश की बेटी बलजीत कौर अन्नपूर्णा चोटी फतेह करके अपने प्रदेश वापस लौट आई है। सोलन पहुंचने पर बलजीत कौर का भव्य स्वागत किया गया और यहां उन्होंने अपने साथ हुए हादसे की कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि वे 48 घंटे अन्नपूर्णा चोटी पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रहीं, लेकिन देश के लोगों की दुआएं साथ रहीं। बलजीत ने बताया कि अच्छी ट्रेनिंग की वजह से वे वहां से सकुशल लौटने में सफल रहीं, लेकिन अन्नपूर्णा अभियान के दौरान जो हादसा हुआ, वह एजेंसी के मिस मैनेजमेंट की वजह से हुआ।
 
 
 ऑक्सीजन की कमी और थकान होने की वजह से जब वे बेहोशी में जाने लगीं तो साथ गए शेरपा उन्हें वहीं छोड़ गए। हालांकि इसके लिए वे उन्हें जिम्मेदार नहीं मानती। बलजीत ने कहा कि उन्हें जाने के लिए मैंने ही कहा था। वे लोग वहां से नहीं जाते तो उनकी जान जा सकती थी। जब वे अभियान पर जा रही थी तो उनके साथ जाने वाले अनुभवी शेरपा उन्हें छोड़ कर किसी दूसरे पर्वतारोही के साथ चले गए। एजेंसी को बताया तो दूसरा शेरपा भेजा, लेकिन उसने भी एक ट्रेनी को साथ ले जाने की शर्त रखी। बलजीत ने बताया कि जब अभियान शुरू हुआ तो शेरपा ने उसे और ट्रेनी को आगे चलने को कहा और खुद बाद में आने की बात कही। 
 
 
करीब 7 हजार मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर एक दूसरा ही शेरपा हांफता हुआ आया और बोला कि उनके शेरपा ने उसे भेजा है। वह शेरपा पहले ही बहुत थका हुआ था, क्योंकि एक दिन पहले ही वह अन्नपूर्णा अभियान से वापस लौटा था। बलजीत ने कहा कि एक बार मैंने अभियान छोड़ने की बात भी कही, लेकिन शेरपा नहीं माने कि ट्रेनी के लिए अभियान पूरा करना जरूरी है, ताकि वे अगली बार शेरपा बन सके। बलजीत ने कहा कि समिट तक पहुंचने के करीब 100 मीटर नीचे ही वे माउंटेन सिकनेस की शिकार होने लगीं। 
 
 
नींद आने लगी और जागते हुए भी सपने आने लगे। इसके बावजूद किसी तरह अभियान पूरा किया, लेकिन वापसी में कुछ दूर आने पर ही वे चलने में लाचार हो गईं। इस पर शेरपा उन्हें वहीं छोड़कर नीचे आ गए। वे बर्फ के बीच पहाड़ पर बिना ऑक्सीजन नीचे आने की कोशिश करती रहीं। आखिर उनकी नजर जेब में पड़े मोबाइल फोन पर पड़ी, जिससे मैसेज भेजने में सफल रहीं और हेलिकॉप्टर से उन्हें रेस्क्यू किया गया। उन्होंने कहा कि कुछ समय अपने परिवार के साथ रहने के बाद वे फिर से पहाड़ों पर चढ़ाई के अभियान शुरू करेंगी।