यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़ 22-07-2021
राजगढ़ ब्लॉक के रासूमांदर क्षेत्र के पांच स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर के पद बीते कई वर्षों से खाली पड़े हैं जिससे इस क्षेत्र के करीब 15 हजार लोगों की सेहत रामभरोसे हैं।
लोगों को छुटपुट बिमारी के इलाज के लिए सोलन अथवा शिमला जाना पड़ता है। गौर हो कि सिरमौर जिला में कुल 87 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां कार्यरत है जिसमें से 40 डिस्पेंसरियों में डॉक्टर के पद खाली पड़े है।
रासूमांदर क्षेत्र के जाने माने साहित्यकार विद्यानंद सरैक ने कहा कि सरकार के घरद्वार पर गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में रिक्त पड़े डॉक्टर व अन्य स्टाफ तथा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
उन्होने जानकारी दी कि आयुर्वेदिक औषधालय भुज्जल, ज्ञानकोट, देवठी मझगांव, कलियोपाब तथा पीएचसी कोटी पधोग में सरकार द्वारा पिछले काफी वर्षों से कोई डॉक्टर नहीं भेजा है। यही नहीं पूरे रासूमांदर के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में प्रयोगशाला की सुविधा नहीं है जिस कारण रोगियों को छुटपुट टेस्ट इत्यादि करवाने के लिए सोलन जाना पड़ता है जिससे धन व समय की बर्बादी हो रही है।
इनका कहना है स्टाफ ने होने से औषधालयों के भवन भी जर्जर हालत में हो चुके हैं। विद्यानंद सरैक ने कहा कि यदि कोई दुर्घटना अथवा किसी भी आपात स्थिति के दौरान क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
उन्होने बताया कि टैंला नामक स्थान पर एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा निजी क्लिनिक खोला गया है जहां पर कई बार लोगों को मजबूरन छुटपुट बिमारी के इलाज के लिए जाना पड़ता है ।
उन्होने कहा कि भाजपा राज में पच्छाद का रासूमांदर क्षेत्र विकास में बहुत पिछड़ चुका है। सरैक ने रासूमांदर क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर व अन्य स्टाफ भरने की मांग की है।
जिला आयुर्वेद अधिकारी नाहन डॉ. राजेन्द्र देव ने बताया कि चिकित्सकों के पदों को भरना सरकार का विशेषाधिकार है , जिसके लिए इस कार्यालय से हर माह लिखित रूप में रिक्त पदों की सूची भेजी जाती है।