काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार का स्वाद , महीने में कमा रहे एक लाख 

स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग का शानदार मेल है एक सिविल इंजीनियर की सफलता की कहानी

काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार का स्वाद , महीने में कमा रहे एक लाख 
स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग का शानदार मेल है एक सिविल इंजीनियर की सफलता की कहानी

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी   11-12-2021
 
पेशे से सिविल इंजीनियर आशीष कुमार की सफलता की कहानी स्वाद, सेहत, स्वरोजगार और सरकारी सहयोग के शानदार मेल से युवा उद्यम का बेहतरीन उदाहरण बन गई है।
 
मंडी जिले की सुंदर नगर तहसील के रामपुर, कनैड़ के 32 वर्षीय आशीष ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में सरकारी मदद से काजू की प्रोसेसिंग-पैकेजिंग में स्वरोजगार का स्वाद पाया है। वे आज सारे खर्चे निकाल के महीने के एक लाख रुपये कमा रहे हैं। 
 
आशीष बताते हैं कि यूं तो उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, पर रोजगार मांगने की बजाय रोजगार देने वाला बनने की मन में इतनी मजबूत चाह थी कि अपना काम धंधा शुरू करने की ठान ली। सेहत बनाने और दिमाग बढ़ाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का राजा माने जाने वाले काजू के काम में अपना इंजीनियरिंग वाला दिमाग लगाया जिससे उन्हें अब जीवन में स्वरोजगार का स्वाद मिल रहा है। 
 
आशीष कुमार उन हजारों सफल युवा उद्यमियों में एक हैं जो उनके सपनों को पूरा करने में हिमाचल सरकार से मिली मदद के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार जताते नहीं थकते। अपने पैरों पर खड़े होने के चाहवानों के लिए वरदान है मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना।
 
 बता दें, अपना काम धंधा शुरू करने के चाहवान युवाओं के लिए हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना वरदान बनी है। प्रदेश के हजारों युवा इस योजना का लाभ लेकर खुद तो आत्मनिर्भर बने ही हैं, वे अब औरों को रोजगार भी दे रहे हैं।
 
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में युवाओं को अपनी पसंद का कामकाज शुरू करने को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। आशीष बताते हैं कि मार्च 2020 में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में उनके प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली थी। कोविड 19 के चलते काम शुरू करने में 6-8 महीने निकल गए।
 
नवंबर 2020 से ‘आरडा कैश्यू हाउस’ नाम से अपना यूनिट आरंभ किया। इसके लिए योजना के तहत बैंक से 27 लाख रुपये का केस बनाया। जिस पर सरकार ने 5.11 लाख रुपये की सब्सिडी दी। काम में पूरी मेहनत झोंक दी, आज माता-पिता के आशीर्वाद, भगवान की कृपा और सरकार की मदद से अच्छा काम चल रहा है।
 
 रामपुर, कनैड़ में यूनिट लगने से ग्रामीण महिलाओं को घर पर ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है।यूनिट में काम कर ही बिमला, राजकुमारी, गीता देवी और कुन्ता सहित अन्य महिलाओं का कहना है कि घर द्वार पर रोजगार से वे आर्थिक रूप से सक्षम हुई हैं। आशीष बताते हैं कि काजू की साइजिंग और ग्रेडिंग के लिए सूरत गुजरात से मशीनरी लाई गई है।
 
इसके लिए गांव की 7 महिलाएं प्लांट में रेगुलर काम कर रही हैं। इसके अलावा गांव की 20 से ज्यादा महिलाओं को समय समय पर काजू की छंटाई के काम दिया जाता है। वे छंटाई के लिए काजू अपने घर ले जाती हैं जिससे वे अपनी फुरसत के मुताबिक काम कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भुगतान किया जाता है। वहीं तकनीकी कामकाज के लिए दूसरे राज्यों के 5 लोग भी प्लांट में काम पर रखे हैं। 
 
आशीष बताते हैं कि वे साल में 4 महीने भारत के अलग अलग राज्यों से कच्चा काजू मंगाते हैं, बाकी 8 महीने अफ्रीका से काजू मंगाया जाता है। इसकी यहां प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कराते हैं।
 
इस काजू की मंडी के साथ साथ हमीरपुर और कुल्लू में भी सप्लाई हो रही है। अलग अलग क्वालिटी के काजू की बाजार में विभिन्न दरों पर बिक्री होती है। ये 600 से लेकर 1600 रुपये तक प्रति किलो के हिसाब से बिकता है ।
 
अभी फैक्ट्री में रोजाना करीब 100 किलो काजू प्रोसेस होता है। इसके बाद पैकिंग की जाती है। आगे इसे रोजाना 500 किलो तक बढ़ाने की सोच रहे हैं। इसके लिए वे साइजिंग और ग्रेडिंग की नई मशीनरी लाने वाले हैं।
 
 आयुष विभाग में आयुर्वेद अधिकारी रहे आशीष के पिता डॉ. अनिल कुमार कौंडल भी सेवानिवृत्ति के बाद अब बेटे के व्यवसाय में हाथ बंटा रहे हैं। वे बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं । उनका कहना है कि युवाओं के सपने पूरा करने वाली मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जितना आभार जताएं कम है।
 
 जिला उद्योग केंद्र मंडी के प्रबंधक विनय कुमार बताते हैं कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में पहले की गतिविधियों के साथ अब उन्नत डेयरी विकास, दूध व दुग्ध उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना, कृषि उपकरणों व औजारों का निर्माण तथा रेशम प्रसंस्करण इकाई जैसी 18 नई गतिविधियां भी सम्मिलित की हैं। इससे अब योजना के तहत कवर की गई स्वरोजगार गतिविधियों की संख्या बढ़कर 103 हो गई है। 
 
उपायुक्त ( डीसी ) मंडी अरिंदम चौधरी का कहना है कि हिमाचल सरकार का इस ओर विशेष जोर है कि अधिक से अधिक युवा स्वरोजगार से जुड़ें और नौकरी मांगने के स्थान पर नौकरी देने की स्थिति में आएं।
 
स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को स्वरोजगार के अनेकों अवसर बना रही है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक युवाओं को इसमें लाभ दिया जाए।