क्या केंद्र की गूंगी बहरी सरकार को देश बेटियों की सिसकियाँ नहीं सुनाई देती या फिर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के आगे नतमस्तक है

वे कह रही हैं हमारे साथ अन्याय हो रहा है। वे कह रही हैं कि हमारा उत्पीड़न होता है। वे देश को कई गोल्ड और रजत पदक दिलवाने वाली जानी- मानी पहलवान हैं। वे जंतर- मंतर पर बैठ कर रो रही हैं। उनकी सिसकियाँ सुनने वाला कोई नहीं है। ये ही पहलवान जब जनवरी में धरने पर बैठीं थीं तो सरकार ने कुछ जांच कमेटियां बना दी

क्या केंद्र की गूंगी बहरी सरकार को देश बेटियों की सिसकियाँ नहीं सुनाई देती या फिर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के आगे नतमस्तक है
 
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली  27-04-2023
 
वे कह रही हैं हमारे साथ अन्याय हो रहा है। वे कह रही हैं कि हमारा उत्पीड़न होता है। वे देश को कई गोल्ड और रजत पदक दिलवाने वाली जानी- मानी पहलवान हैं। वे जंतर- मंतर पर बैठ कर रो रही हैं। उनकी सिसकियाँ सुनने वाला कोई नहीं है। ये ही पहलवान जब जनवरी में धरने पर बैठीं थीं तो सरकार ने कुछ जांच कमेटियां बना दी थीं , लेकिन इतने गंभीर मामले में भी जांच लीपापोती तक ही सीमित रही। इससे आगे बढ़ ही नहीं पाई। हमारी सरकारें वैसे तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे दे कर तरह - तरह की योजनाएं बनाती फिरती हैं। 
 
 
उनका ढिंढोरा पीटने में भी कोई कसर नहीं छोड़तीं, लेकिन बेटियों इतनी गंभीर शिकायतों की जांच भी जब ठीक से नहीं हो पाती तो तमाम सरकारों के बेटियों के पक्ष में दिए जाने वाले नारों और योजनाओं पर शक होने लगता है। आख़िर बेटियाँ आगे कैसे बढ़ें ? क्या वे उनके साथ जो कुछ भी ग़लत, जैसा भी अन्याय होता रहे, होने दें और आगे बढ़ते रहें? क्या फिर इसे आगे बढ़ना कहा जा सकेगा? अगर बेटियाँ बैठ कर रो रही हैं। कह रही हैं कि हमारा उत्पीड़न किया जा रहा है। हमारे साथ अन्याय हो रहा है तो सरकार निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करवा रही है? क्यों सरकार जांच कमेटियों में इन पहलवानों के प्रतिनिधियों को रखकर उनकी सहमति से रिपोर्ट बनाने से बच रही है? 
 
 
दरअसल, इन महिला पहलवानों की शिकायत भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ है। ये महाशय भाजपा के सांसद भी हैं। हो सकता है कुछ अफ़सर इन्हें बचा रहे हों। कुछ नेता उनकी तरफदारी कर रहे हों। ठीक है आप किसी के, किसी पर आरोप को सही मत मानिए , लेकिन निष्पक्ष जांच तो करवाइए। पुलिस इन अध्यक्ष महोदय के खिलाफ एफआईआर तक नहीं लिख रही है। क्यों? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। न सरकार के पास, न पुलिस के पास। एफआईआर लिखवाने के लिए भी पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है। कोर्ट ने पुलिस से रपट न लिखने का कारण पूछा है। पहलवानों की याचिका पर अब कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है। 
 
 
उधर, हरियाणा की तमाम खाप पंचायतें अब अपनी बेटियों, अपनी पहलवानों के पक्ष में खड़ी हो गई हैं। उनका कहना है हम हर हाल में अपनी पहलवानों के साथ हैं। हो सकता है - एक- दो दिन में हम सब भी जंतर- मंतर जाकर उनके साथ धरने पर बैठें। जाँच कमेटी की एक नंबर पहलवान बबीता फोगाट भी थीं। उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट हमारी सहमति से नहीं बनी। कमेटी के सदस्यों ने जांच भी ठीक से नहीं की। बबीता ने कहा कि मैं जांच रिपोर्ट पढ़ ही रही थी कि साई निदेशक राधिका ने मेरे हाथ से रिपोर्ट छीन ली। मेरे साथ बदतमीजी भी की। इस रवैये को आखिर क्या कहा जा सकता है? बेटियों के साथ यह भद्दा मज़ाक़ है। इसे तुरंत रोकने की ज़रूरत है।