करीब 40 साल बाद फिर से क्रिसमस पर ऐतिहासिक चर्च शिमला में सुनाई देगी कॉल बेल की धुन  

करीब 40 साल बाद  फिर से ऐतिहासिक चर्च शिमला की कॉल बेल की धुन सुनाई देगी। क्राइस्ट चर्च को शिमला की पहचान माना जाता है, चर्च में 150 साल पहले इंग्लैंड से लाई “कॉल बेल” का भी अपना महत्व है। जिसे प्रार्थना से पहले बजाया जाता है

करीब 40 साल बाद फिर से क्रिसमस पर ऐतिहासिक चर्च शिमला में सुनाई देगी कॉल बेल की धुन  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला        01-12-2022

करीब 40 साल बाद  फिर से ऐतिहासिक चर्च शिमला की कॉल बेल की धुन सुनाई देगी। क्राइस्ट चर्च को शिमला की पहचान माना जाता है, चर्च में 150 साल पहले इंग्लैंड से लाई “कॉल बेल” का भी अपना महत्व है। जिसे प्रार्थना से पहले बजाया जाता है। 

लगभग 40 साल से यह बेल खराब पड़ी थी। बेल का रिपेरिंग का काम पूरा हो चुका है। 25 दिसंबर को क्रिसमस और 31 दिसंबर न्यू ईयर के मौके पर कॉल बेल शिमला में सुनाई देगी।

कॉल बेल कोई साधारण घंटी नहीं है, बल्कि मेटल से बने छह  विशाल पाइप के हिस्से के बेस पर इसे बनाया गया है। घंटी के बजने के साथ ही पाइप पर संगीत के सात सुर की ध्वनि बिखर जाती है। इन पाइप पर हथौड़े से आवाज होती है, जिसे रस्सी खींचकर बजाया जाता है। 

यह रस्सी मशीन से नहीं, बल्कि हाथ से खींची जाती है। रविवार सुबह 11 बजे होने वाली प्रार्थना से पांच मिनट बेल बजाने की रिवायत रही है। ब्रिटिश काल  के समय अंग्रेजों के आवास शिमला शहर में अलग अलग स्थानों पर होते थे। बेल के माध्यम से सूचित किया जाता था कि प्रार्थना शुरू होने वाली है। 

उस समय इसकी आवाज तारादेवी तक सुनाई देती थी। चूंकि ब्रिटिश काल में मोबाइल फोन नहीं थे लिहाजा किसी दुखद घटना और आपातकाल की सूचना देने के लिए भी कॉल बेल का इस्तेमाल किया जाता है। 40 साल एक बार फ़िर से क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर रात 12 बजे इस बेल को बजाकर जश्न मनाया जायेगा।