कुल्लू के राजगिरी में अनूठी देव परंपरा, जलते अंगारों पर नाचे ग्रामीण 

हिमचल प्रदेश के जिला कुल्लू की ग्राम पंचायत शिल्ही राजगिरी में अनूठी देव परंपरा देखने को मिली। बाखली गांव में ग्रामीण जलते अंगारों पर नाचे। ग्रामीण अंगारों पर तक तब नाचते रहे, जब तक आग बुझ नहीं गई

कुल्लू के राजगिरी में अनूठी देव परंपरा, जलते अंगारों पर नाचे ग्रामीण 

यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू      22-01-2023

हिमचल प्रदेश के जिला कुल्लू की ग्राम पंचायत शिल्ही राजगिरी में अनूठी देव परंपरा देखने को मिली। बाखली गांव में ग्रामीण जलते अंगारों पर नाचे। ग्रामीण अंगारों पर तक तब नाचते रहे, जब तक आग बुझ नहीं गई। 

इस दौरान ग्रामीणों ने अश्लील जुमले भी बोले। सदियों पुरानी अनूठी परंपरा को बाखली गांव में देवता आदिब्रम्हा (खोखन) के सम्मान में सदियाला पर्व के रूप में निभाया जाता है। 

मान्यता है कि देवीय शक्ति के कारण अंगारों पर चलने के बावजूद किसी को चोट नहीं पहुंचती है। इसका प्रमाण शुक्रवार देररात को बाखली में एक बार दोबारा देखने को मिला। देवता आदिब्रह्मा के कारकून संगत राम ने कहा कि बाखली सदियाला में ग्रामीण एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जलती मशालों पर नाचते हैं। 

इस देव परंपरा का निर्वहन करते हुए वह तब तक एक-दूसरे का हाथ नहीं छोड़ते  जब तक आग पूरी तरह बुझ नहीं जाती। कहा कि यह देवीय परंपरा सदियों से चली आ रही है। वर्तमान में भी इसका निर्वहन किया जा रहा है। 

धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी के शारानीबेहड़ में माता रूपासना और ड्ढेई में माता कैलाशना के सम्मान में भी सदियाला पर्व मनाया गया। बर्फबारी के बीच शुक्रवार रात 4:00 बजे पुजारी खेमचंद और मोहर सिंह ने नंगे पांव मशालें निकालीं।

इस देव परंपरा में हारियानों के अलावा घाटी के अन्य क्षेत्रों के श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। इसके अलावा बंजारी की पंचायत चनौन के मठयाणा गांव में देवता बंगेश्वर महादेव के सम्मान में तुआर उत्सव मनाया गया। इसमें वाद्ययंत्रों की थाप पर मंडियालों का नृत्य देखने लायक रहा। देवता के रथ के साथ बीठ को भी नचाया गया। आखिर में बीठ को लोगों के बीच फेंका गया।