कृषि विवि पालमपुर अब प्रदेश के जनजातीय इलाकों में लगाएगा छरमा के पौधे
यंगवार्ता न्यूज़ - कांगड़ा 15-03-2021
कृषि विवि पालमपुर अब प्रदेश के जनजातीय इलाकों में छरमा (सीबकथोर्न) के पौधे लगाएगा। इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी। छरमा औषधीय गुणों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।
विवि ने इस पर काफी शोध कार्य किया है। सरकार की ओर से लिए गए फैसले के बाद लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में इसे करीब ढाई सौ हेक्टेयर पर पौधे रोपे जाएंगे। छरमा पारिस्थितिकी को बेहतर बनाने के लिए भी जाना जाता है।
जनजातीय किसानों की ओर से इसके औषधीय गुणों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। किसान इसे पशुओं के लिए चारे के और ईंधन के लिए लकड़ी इस्तेमाल करते हैं।
विश्वविद्यालय ने इस जंगली पौधे पर पर्याप्त शोध कार्य किया है और कुछ उच्च उपज देने वाली किस्मों को भी ईजाद किया है, जो उद्योग को रस, जैम और अन्य घरेलू उत्पादों के लिए बेहतर पैदावार दे सकते हैं।
कृषि विवि के कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 16 सीबकथॉर्न मूल्य वर्धित खाद्य उत्पादों और सात पशु और पोल्ट्री फीड भी विकसित किए हैं।
औषधीय मूल्यों जैसे कि घाव भरने, त्वचा रोग और गैस्ट्रिक अल्सर के लिए इसके उपयोग पर शोध कार्य शुरू किया गया है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में सीबकथॉर्न के प्रसार, पौधरोपण और प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों के लिए वन और बागवानी विभागों के फील्ड कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेंगे।