गिरिपार को मिले जनजाति का दर्जा, हाटी समिति चंडीगढ़ इकाई ने अनुराग ठाकुर के समक्ष रखा मुद्दा

गिरिपार को मिले जनजाति का दर्जा, हाटी समिति चंडीगढ़ इकाई ने अनुराग ठाकुर के समक्ष रखा मुद्दा

यंगवार्ता न्यूज़ - चंडीगढ़  19-08-2021

हाटी समिति चंडीगढ़ इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल चंडीगढ़ हिमाचल भवन में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया और हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग का मुद्दा उनके समक्ष ज्ञापन देकर उठाया। जिस पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र की दशकों से लंबित हाटी जनजातीय दर्जा देने की मांग को वह केंद्र के समक्ष रखेंगे।

अनुराग ठाकुर ने यह भी कहा कि गिरिपार क्षेत्र के लोग काफी समय से जनजातीय दर्जा देने की मांग उठा रहे है। केंद्र में सरकार के सामने इस मांग को रखा जाएगा। ताकि इस मसले को सिरे तक पहुंचाया जा सके। इस दौरान हाटी समिति चंडीगढ़ के प्रतिनिधियों ने एक मांग पत्र भी अनुराग ठाकुर को सौंपा जिसमें कहा गया है कि गिरिपार क्षेत्र के तीन लाख लोगों की पांच दशक से क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की मांग लंबित है।

पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार बावर को 1968 में यह दर्जा दिया गया। लेकिन हर तरह से हकदार गिरिपार क्षेत्र को 1978 में राष्ट्रीय जनजाति आयोग द्वारा गिरिपार क्षेत्र की उक्त मांग की संस्तुति को नजरअंदाज किया गया। 1994 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सांसद रहते हुए संसद में इस मामले को प्रमुखता व प्रखरता के साथ उठाया था। उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने इस मुद्दे को वर्ष 2007 और 2011 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया।

हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने समय समय पर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की संस्तुतियां की और घोषणा पत्र में शामिल किया। जबकि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते नाहन में तत्कालीन जनजातीय मंत्री जुएल ओराम ने हरिपुरधार में सार्वजनिक मंच पर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देना की घोषणा की थी।

यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तत्कालीन सांसद वीरेन्द्र कश्यप के नेतृत्व में उनसे मिले हाटी प्रतिनिधिमंडल को भी आश्वासन दिया जिसके लिए उनके आभारी है। प्रदेश सरकार ने जनजातीय अनुसंधान संस्थान से सर्वे करवाने के पश्चात वर्ष 2016 में इसकी संस्तुति केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को की थी, जिसे महामहिम राज्यपाल ने भी अनुमोदित किया था। लेकिन आरजीआई द्वारा इस प्रस्ताव पर गलत तथ्यों को आधार बनाकर आपत्तियां लगाई गई।

जिस पर केंद्रिय हाटी समिति ने सूचना के अधिकार का प्रयोग कर जब सूचना मांगी तो आरजीआई ने 25 नवंबर 2020 को एक पत्र के जवाब में कहा कि 2016 की रिपोर्ट पर पुनः विचार नहीं किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने वर्ष 2017 में ही हिमाचल प्रदेश सरकार से ताजा रिपोर्ट मंगवाने का पत्र जनजातीय मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन जनजातीय मंत्रालय ने पिछले करीब चार साल बीतने के बावजूद हिमाचल सरकार से इस बारे में कोई पत्राचार नहीं किया है।

इसलिए हाटी समिति की मांग है कि आप व्यक्तिगत हस्तक्षेप करके गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय की पांच दशक पुरानी मांग को पूरा करने के लिए जनजातीय मंत्रालय से प्रदेश सरकार को जल्द पत्र भिजवाने और उस पर प्रदेश सरकार की नवीन संस्तुति करवाकर उस पर अमल करवाने की कृपा करें। इस मौके पर संयोजक फकीर चंद चौहान, चंडीगढ़ यूनिट के प्रधान महेंद्र चौहान, रमेश देसाईक, दिनेश सिंह चौहान, विरेंद्र तोमर, जय प्रकाश आदि शामिल रहे।