यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर 27-03-2022
हिमाचल प्रदेश की दी तलाई ग्राम सेवा सहकारी सभा सीमित में 33 करोड़ रुपये से ज्यादा के गबन मामले में पहली बार 12 अफसरों, एक पूर्व अधिकारी और दो चार्टर्ड अकाउंटेंटों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। यह कार्रवाई झंडूता सिविल कोर्ट के निर्देश पर की गई है। मार्च 2019 में ऑडिट में सामने आए गबन के इस मामले में सभा के पूर्व पदाधिकारियों और सचिव समेत अब तक 20 पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। सात मामले कोर्ट के माध्यम से दर्ज हो चुके हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सहकारिता विभाग इस मामले की जांच कर रहे हैं।
आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर कर्ज बांटे गए। दो लाख से ज्यादा नहीं दिए जा सकते थे, जबकि करोड़ों के कर्ज बांट दिए गए। इस गड़बड़ी का ऑडिट रिपोर्ट तक में जिक्र नहीं किया गया। सभा की प्रबंधक कमेटी के सदस्य एवं याचिकाकर्ता महेंद्र सिंह ने कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा था कि नियमों के विपरीत कई परिवारों को करोड़ों के हिसाब से कर्ज दे दिया गया है। सभा एक प्राथमिक कृषि समिति है। सभा किसी को भी दो लाख से ज्यादा कर्ज नहीं दे सकती है।
कर्ज के मामलों को देखने के लिए तीन सदस्यों की एक उप कमेटी भी बनाई गई है। हर वर्ष एक चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट किया जाता है, जिसकी रिपोर्ट सहकारिता विभाग के असिस्टेंट रजिस्ट्रार को भेजी जाती है। उनकी सहमति से ही ऑडिट पास होता है। सवाल यह उठता है कि सभा कई वर्षों से दो लाख के बजाय करोड़ों के कर्ज दे रही थी तो ऑडिट में उसका जिक्र क्यों नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सभा में हुई इस गड़बड़ी में सहकारिता विभाग के अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार हैं।
घुमारवीं के डीएसपी अनिल ठाकुर ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आईपीसी की धारा 420, 406, 120बी के तहत एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। असिस्टेंट रजिस्ट्रार राकेश कुमार, दिले राम धीमान, बीएस कायथ, रोशन लाल खजुरिया, रंजना सूद, विक्रम चंद, कमल किशोर, नंद लाल, प्रवीण वर्मा, सेवानिवृत्त जिला अंकेक्षण अधिकारी प्रेम सिंह चंदेल, सीए राजेश शर्मा, पंकज सोनी, निरीक्षक देवराज डोगरा, दिनेश कुमार और विजय कुमार।