जेओए आईटी पेपर लीग के पीछे का सच , भाजपा चोर दरवाजे से दे रही चेहतों को नौकरी : यदुपति ठाकुर
जबकि सरकार को चाहिए कि पहले पेपर कैंसिल कर दिया जाए । सुंदर नगर में एक शिक्षण संस्थान का सामना आया है लेकिन पूरे हिमाचल प्रदेश में इसका पूरा गिरोह जुड़ा हुआ हो सकता
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 30-04-2022
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए आईटी पेपर लीक होने का मामला सामने आया था सरकार ने इसकी जांच के लिए कमेटी का गठन किया है लेकिन कांग्रेस को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साध रही है और इस पेपर को रद्द करने की मांग कर रहे हैं साथ ही भाजपा पर चोर दरवाजे से अपने चहेतों को नौकरी देने के आरोप लगा रहे हैं। युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदूपति ठाकुर ने कहा कि जेओए पेपर लीक हो गया है और ये बहुत बड़ा स्कैम है लेकिन सरकार पेपर रद्द रखने के बजाय जो भी दोषी होगा उस पर कार्यवाही की बात लर रही।
जबकि सरकार को चाहिए कि पहले पेपर कैंसिल कर दिया जाए । सुंदर नगर में एक शिक्षण संस्थान का सामना आया है लेकिन पूरे हिमाचल प्रदेश में इसका पूरा गिरोह जुड़ा हुआ हो सकता। इस मामले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच होनी चाहिए और जो भी इसमे शामिल है उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही अमल पर लाई जानी चाहिए। यदुपति ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार का अफसरों पर नियंत्रण नहीं रहा है। पुलिस भर्ती में भी एक चैट वायरल हुई थी आज तक उस पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
फिर सरकार ने कहा कि वह फेक है इसकी जांच किस एजेंसी से करवाई है। लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज आधे से ज्यादा भर्तियां जो इस सरकार में हुई है वह कोर्ट में विचाराधीन है चाहे जेबीटी की बात हो या फिर जेओए आईटी की बात हो सारे के सारे बेरोजगार युवा आज सड़कों पर है और दूसरी तरफ से भर्तियों के नाम पर धांधली की जा रही हैं। बैक डोर एंट्री से बीजेपी के लोगों को तरजीह दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार आई तो हिमाचल प्रदेश में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है बेरोजगारों के लिए कोई करियर गाइडेंस ब्यूरो नहीं लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से वीरभद्र सिंह की सरकार में बेरोजगार युवाओं को कैरियर गाइडेंस ब्यूरो लगाए जाते थे और युवाओं को मल्टीनेशनल कंपनी में रोजगार प्रदान किया जाता था। वहीं दूसरी तरफ यह भर्तियों की घोषणा तो जरूर करते हैं लेकिन उन्हें फाइनेंसियल डिपार्टमेंट से मंजूरी नहीं मिलती है क्योंकि प्रदेश में वित्तीय घाटा बहुत ज्यादा है।