जमीन में आर्सेनिक, निकिल जैसी भारी धातुओं को गेंदा, सहजन जैसे औषधीय पौधे करेंगे साफ
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 27-06-2022
अब जमीन में मिलने वाली आर्सेनिक, निकिल जैसी भारी धातुओं को गेंदा, सहजन, जेरेनियम, मदार जैसे सुगंधित या अन्य औषधीय पौधे साफ करेंगे। ये पौधे एक तरह से जमीन का उपचार करने में सहयोग करेंगे। यह खुलासा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के शोध में हुआ है।
सीयू के विशेषज्ञों ने जमीन का उपचार करने वाले कई औषधीय पौधे चिह्नित किए हैं। यह शोध एक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘इंडस्ट्रियल क्रॉप्स एंड प्रोडक्ट्स’ में प्रकाशित हुआ है।
सीयू के रासायनिक विज्ञान एवं पर्यावरण विभाग के प्रो. दीपक पंत और डॉ. भावना मिश्रा का यह संयुक्त शोध किसानों-बागवानों को अपनी जमीन को भारी धातुओं से मुक्त कर उसे उपजाऊ बनाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण होगा।
दरअसल, फफूंदनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल करके मिट्टी में भारी धातुएं जमा हो रही हैं। सुगंधित और औषधीय पौधों से ये धातुएं साफ होंगी। प्रो. पंत ने कहा कि औद्योगिक खनन और सीवेज कीचड़ प्रसंस्करण जैसी मानवीय गतिविधियों से पिछले दो वर्षों में धातु की सांद्रता में बढ़ोतरी हुई है।
अपनी जरूरत के अनुसार ये पौधे रोगजनकों, शाकाहारी जीवों से निपटने और परागण करने वाले जीवों को आकर्षित करने के लिए युवा उत्तकों में अधिक प्राथमिक मेटाबोलाइट्स जमा करते हैं।
परिपक्व उत्तकों में मजबूत शरीर क्रिया विज्ञान को विकसित करने के लिए अधिक माध्यमिक मेटाबोलाइट्स जमा करते हैं। इन औषधीय पौधों में फाइटोरेमेडिएशन क्षमता भी होती है। प्रदूषकों को अवशोषित करने या तोड़ने के लिए पौधों और पेड़ों का उपयोग करके मिट्टी या पानी को शुद्ध करने को फाइटोरेमेडिएशन कहते हैं।
प्रो. पंत ने बताया कि कुछ औषधीय और सुगंधित पौधों जैसे मोरिंगा ओलीफेरा यानी सहजन, पेलार्गोनियम ग्रेवोलेंस यानी जेरेनियम, टैगेटस पटुला यानी गेंदा और कैलोट्रोपिस गिंगेटिया यानी मदार में ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंजाइमों और इनकी रासायनिक प्रतिक्रिया का पता लगाया गया है जो विषाक्त तंत्र और तनाव सहनशील क्षमता को बढ़ाते हैं।