जहर से मुक्ति : 1.71 लाख किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती : मुख्यमंत्री
वैज्ञानिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के किसानों और बागवानों को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थाओं की प्रयोगशालाओं में किए गए अनुसंधान को खेतों में स्थानांतरित
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 01-06-2022
वैज्ञानिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के किसानों और बागवानों को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों और विभिन्न संस्थाओं की प्रयोगशालाओं में किए गए अनुसंधान को खेतों में स्थानांतरित किया जाए। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज सोलन जिला के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में आयोजित 12वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही।
प्राकृतिक खेती और अन्य सतत् कृषि तकनीक विषय पर आधारित दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर से 731 कृषि विज्ञान केन्द्र और विभिन्न राज्यों के 1000 से अधिक वैज्ञानिक और किसान भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसान मेहनती और परिश्रमी हैं और नई तकनीकें अपनाने में देश के अन्य राज्यों से आगे हैं। रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग बहुत हानिकारक है। वर्तमान सरकार ने सत्ता सम्भालने के तीन महीनों के भीतर ही किसानों के दीर्घकालीन कल्याण के लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना आरम्भ की और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया और वर्तमान में
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न मंचों पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में हिमाचल प्रदेश के प्रयासों की कई बार सराहना की है। केन्द्र सरकार ने देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय बजट में विशेष प्रावधान किया है। हिमाचल प्रदेश को कृषि क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से रसायन मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं और आने वाले 15 वर्षों में राज्य को एक प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।
इस अवसर परकृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर, सचिव कृषि राकेश कंवर, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक और प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले प्रगतिशील किसान और अन्य व्यक्ति उपस्थित थे।