यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 09-10-2020
हिमाचल मेडिकल अफसर यूनियन ने डीडीयू अस्पताल शिमला में कोरोना पॉजिटिव मरीज के आत्महत्या करने के मामले में सरकार की जांच पर सवाल उठाए हैं। मामले में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ और फार्मासिस्ट को दोषी ठहराया गया है।
संघ के महासचिव पुष्पेंद्र ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की जांच कमेटी की ओर से आत्महत्या के मामले में चिकित्सकों, नर्सों और फार्मासिस्ट को दोषी ठहराना बिलकुल गलत है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर और अन्य स्टाफ दिन-रात सीमित साधनों में काम कर रहे हैं। संघ ने कहा कि इस तरह की जांच से जनता की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया जा रहा है। संघ ने जनता से अपील की कि सरकार से यह सवाल पूछना चाहिए कि अस्पतालों में चिकित्सकों, नर्सों, फार्मासिस्टों, लैब सहायकों, बिस्तरों, जांच मशीनों और मॉनीटरिंग सिस्टम की कमी क्यों है।
इसलिए चिकित्सक नहीं सरकारें जिम्मेदार हैं। संघ ने सरकार से पूछा कि जब डीडीयू की गैप एनालिसिस कमेटी ने 4 महीने में दो बार सरकार और स्वास्थ्य निदेशालय को सुझाव दिए तो उन पर अमल कर संसाधनों की कमी को दूर क्यों नहीं किया गया?
संघ ने मांग की कि एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की टीम मामले की जांच करे। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ, नर्सिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ और फार्मासिस्ट क्षेत्र के विशेषज्ञों को कार्यरत न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाए।