तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा अब अरुणाचल प्रदेश की करेंगे यात्रा  

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा अब अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करेंगे। यात्रा की योजना का खुलासा खुद धर्मगुरु ने बुधवार को मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में उनकी लंबी आयु के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में किया

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा अब अरुणाचल प्रदेश की करेंगे यात्रा  

यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला      08-09-2022

तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा अब अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करेंगे। यात्रा की योजना का खुलासा खुद धर्मगुरु ने बुधवार को मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में उनकी लंबी आयु के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में किया। अरुणाचल की यात्रा पर जाने पर चीन भड़क सकता है, क्योंकि चीन उनके अरुणाचल जाने पर एतराज जताता रहा है। 

गौर हो कि अभी हाल ही में दलाई लामा एक माह की लद्दाख यात्रा के बाद मैक्लोडगंज लौटे हैं। दलाई लामा की अरुणाचल की यह वर्ष 1983 के बाद से आठवीं यात्रा होगी। उनकी इस यात्रा से भारत-चीन संबंधों में फिर तल्खी बढ़ सकती है। दलाईलामा ने प्रार्थना सभा में कहा कि मेरा जन्म हिमालयी क्षेत्र में हुआ है।

हिमालयी क्षेत्रों में बसे लोगों के साथ मेरा गहरा नाता रहा है। हाल ही की मेरी लद्दाख, जंस्कार और साथ लगते अन्य क्षेत्रों की यात्रा इसकी गवाह है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मेरी अरुणाचल जाने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि लंबी आयु के लिए मैं रोज आर्य तारा पूजा करता हूं। मुझमें लंबी आयु जीने के लिए हीरे के समान मजबूत संकल्प शक्ति है। 

तिब्बती समूहों ने दलाई लामा के माथे पर सिंदूरी तिलक लगाकर आर्य तारा मंत्रोच्चारण के साथ उनकी लंबी आयु की कामना की। धर्मगुरु ने कहा कि दमनकारी शासन के बावजूद तिब्बत में रहे रहे लोगों की मुझमें श्रद्धा और विश्वास की भावना अडिग है। 

चीन के लोगों में भी बौद्ध धर्म के प्रति रुचि बढ़ी है। इसलिए चीन की सरकार जिस तरह से मुझे विद्रोही के रूप में प्रचारित करती आई है, उसे भी अब चीन के लोग सच नहीं मान रहे। पिछली बार दलाई लामा अप्रैल 2017 में अरुणाचल गए थे। तब चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। 

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत को दलाई लामा की यात्रा तुरंत रोकनी चाहिए। चीन ने बीजिंग में भारतीय राजदूत को बुलाकर भी विरोध दर्ज करवाया था। चीन दलाई लामा को अलगाववादी बताता आया है।

तिब्बत में स्वायत्तता की मांग को कुचलने के लिए चीन तवांग पर नियंत्रण को अहम मानता है। तवांग में तिब्बती ज्यादा हैं। तवांग बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र होने के साथ-साथ छठे दलाई लामा की जन्मस्थली भी है। 

तवांग सामरिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस पर आधिपत्य के माध्यम से भूटान को दोनों तरफ से घेरा जा सकता है। ऐसा होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक चीन की पहुंच आसान होगी और भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा होगा।