देव परंपरा को कायम रखे श्रद्धालु , महासू देवता के कारदार ने किया आह्वान 

महासू देवता की प्राचीन व्यवस्था और वर्तमान व्यवस्था में बड़ा अंतर आया है। लेकिन श्रद्धालुओं को चाहिए की वह देव परंपरा को कायम रखे। महासू मंदिर के कारदार पंडित माया राम डोभाल बताते है कि इस प्राचीन मंदिर मे जब यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर

देव परंपरा को कायम रखे श्रद्धालु , महासू देवता के कारदार ने किया आह्वान 
 
लाल सिंह शर्मा -  हरिपुरधार  10-04-2023
 
महासू देवता की प्राचीन व्यवस्था और वर्तमान व्यवस्था में बड़ा अंतर आया है। लेकिन श्रद्धालुओं को चाहिए की वह देव परंपरा को कायम रखे। महासू मंदिर के कारदार पंडित माया राम डोभाल बताते है कि इस प्राचीन मंदिर मे जब यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मंदिर धार्मिक स्थल उत्तराखंड का पाण्डव के कार्यकाल से बनाया गया है। तब से लेकर इस मंदिर में हमारे पूर्वज बजीर है। 
 
 
जब यहां पर महाराज महासू देवता विराजमान है उससे भी पूर्व यह परिवार इस मंदिर के अहाते में निवास कर रहे है। इनका घर इस मंदिर के पश्चिम की तरफ विधमान है। यह सिर्फ एक की घर इस मंदिर के समीप है। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है की माया राम डोभाल के बुजुर्ग प्राचीन काल से यहां पर रह रहे है। जब से यहाँ महासू देवता इसके बाद यहां पर महाराज के रूप में आया। महाभारत काल के समय पांडव ने इस मंदिर की स्थापना की। उन्होंने जानकारी दी की यहां पर जो प्राचीन काल के नियम थे वह अब विलुप्त हो रहे है। 
 
 
जिसके कारण यहां वर्तमान व्यवस्था डगमगा रही है। गनीमत यह है की प्राचीन परम्परा व नियमों को दरकिनार किया जा रहा है। इसलिए इन्होने आह्वान किया की इस मंदिर के नियम कायदे-कानून बरकरार रहने चाहिए। हमारा प्राचीन इतिहास व रीति-रिवाज यथावत चलने चाहिए। अंत में उन्होंने बताया की हनोल का पौराणिक नाम चकरापूर व नदी का नाम कर्मनाशा है। यहां पर महाराज के जाने माने माली यानी महासू महाराज के गुर्र पंडित जगदीश नौटियाल है। 
 
 
माया राम डोभाल ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दास मोदी इस पावन पवित्र स्थल उत्तराखंड में एक बार राज्य रक्षा मंत्री एवं पर्यटन विभाग भारत सरकार में अजय भट्ट जी को उत्तराखंड के लिए अवश्य भेजे ताकि यहां प्राचीन परंपरागत सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अन्तर्गत उनको अवगत करवाया जाए।