नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के मकसद से दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश जारी 

केंद्र सरकार ने नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के मकसद से दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश जारी कर दिए है। मसलन अब किसी भी मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन खरीदी गई दवा के बारे में सारी जानकारी एक स्कैन से सामने आ जाएगी

नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के मकसद से दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश जारी 

यंगवार्ता न्यूज़ - बीबीएन       29-11-2022

केंद्र सरकार ने नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के मकसद से दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश जारी कर दिए है। मसलन अब किसी भी मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन खरीदी गई दवा के बारे में सारी जानकारी एक स्कैन से सामने आ जाएगी। पहले चरण में टॉप फार्मा ब्रांडों की 300 दवाओं को इस दायरे में लाया गया है। 

सरकार दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर क्यूआर कोड लगाने को पहले ही अनिवार्य कर चुकी है। अब इसी फैसले के तहत ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने 300 कॉमन ब्रांड्स की दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी की है। जिन दवाओं को क्यूआर कोड के लिए चुना गया है उनमें पेन किलर्स, विटामिनस के सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर, शुगर और कॉन्ट्रासेप्टिव दवाएं शामिल हैं। 

बता दें कि इसी कड़ी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्यूआर कोड से संबंधित निर्णय को लागू करने के लिए औषधि नियम, 1945 में कुछ जरूरी संशोधन भी किए हैं। यह नया नियम अगले वर्ष अगस्त 2023 से लागू हो जाएगा।

काबिलेजिक्र है की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसी साल जून में एक ड्राफ्ट गजट नोटिफिकेशन जारी कर लोगों से इस मसौदे पर राय मांगी थी। टिप्पणियों और दवा कारोबारियों से विचार-विमर्श के आधार पर मंत्रालय ने इसे अगस्त 2023 से लागू करने की गजट नोटिफिकेशन जारी कर दी है।

 इस नियम के लागू होने से ग्राहकों को आसानी से पता चलेगा कि उनकों बेची जा रही दवा असली है या नकली। अधिसूचना के अनुसार ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 96 की शेड्यूल दो के अनुसार, 300 ड्रग फॉर्मूलेशन प्रोडक्ट्स के निर्माताओं को अपने प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेज लेबल पर बार कोड या क्यूआर कोड को प्रिंट करना अनिवार्य होगा। 

गजट नोटिफिकेशन में मंत्रालय ने कहा है कि उक्त फॉर्मूलेशन उत्पादों के निर्माता अपने प्राथमिक पैकेजिंग लेबल पर क्विक रिस्पांस कोड छापें या चिपकाएं प्राथमिक उत्पाद पैकेजिंग में दवाओं की बोतल, कैन, जार शामिल हैं। (एचडीएम)

दवाओं पर लगने वाले क्यूआर कोड के संग्रहित डाटा या जानकारी में किसी उत्पाद का पहचान कोड ,दवा का सही और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, निर्माण की तारीख, समाप्ति की तारीख और मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस नंबर शामिल होंगे। इसे अगस्त 2023 से लागू किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स पर क्यूआर कोड डालना अनिवार्य कर दिया है। एपीआई पर क्यूआर कोड लगाने से असली और नकली दवाओं की पहचान होगी। साथ ही, इससे दवा बनाने वाली कंपनी को ट्रैक करना आसान होगा। यह नया नियम पहली जनवरी से लागू होगा।

कई रिपोट्र्स में दावा किया जा चुका है कि देश में तीन प्रतिशत दवाएं घटिया गुणवत्ता की हैं। इसी कड़ी में सरकार वर्ष 2011 से इस व्यवस्था को लागू करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इस पर कोई ठोस फैसला नहीं हो पा रहा था। 

हाल ही में हुई फार्मा कंपनियों व मंत्रालय की एक बैठक में भी एपीआई पर क्यूआर कोड लगाने की तारीख को बढ़ाने की मांग उठी थी लेकिन मंत्रालय ने इसे हर सूरत पहली जनवरी से लागू करने के निर्देश दिए है।