प्रदेश के गठन से लेकर अब तक हुए विकास में हर मुख्यमंत्री का योगदान ; जगत प्रकाश नड्डा 

प्रदेश के गठन से लेकर अब तक हुए विकास में हर मुख्यमंत्री का योगदान ; जगत प्रकाश नड्डा 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   25-01-2021

हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के 50 साल पूरा होने पर रिज मैदान में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि प्रदेश के गठन से लेकर अब तक हुए विकास में हर मुख्यमंत्री का योगदान है। 

उन्होंने हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के अलावा वीरभद्र सिंह, शांता कुमार और धूमल के योगदान को याद किया। जयराम ठाकुर को लोकप्रिय मुख्यमंत्री कहकर उनकी पीठ भी थपथपाई। 

वहीं, नड्डा ने मंच से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम नहीं लिया। हालांकि, उन्होंने समारोह शुरू होने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद इंदिरा गांधी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पार्पण किया।

नड्डा ने कहा कि हम हिमाचल निर्माता डॉ. परमार के महत्व को नहीं भूल सकते। पीठ में पिट्ठू लगाकर वह पैदल चलते थे। 14 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद वह बस में गांव जाते थे। 

उन्होंने कहा कि यह देवी-देवताओं, वीरों की कर्मभूमि है। इससे संबंधित होना हम सबका सौभाग्य है। पहले हिमाचल में छोटी-छोटी पगडंडियां थीं।

मरीजों को चारपाई पर ले जाते थे। आज हिमाचल विकसित है। ऐसे में डॉ. परमार को याद करना जरूरी है। किस तरीके से उन्होंने काम किया, यह याद करना चाहिए। 

वीरभद्र के समय अगर हम आधारभूत ढांचे का अवार्ड लेते हैं तो वह बधाई के पात्र हैं। शांता ने लोगों के सिर से पानी के घड़े उतारकर पानी लाया। प्रेम कुमार धूमल गांव-गांव सड़क पहुंचाने वाले सीएम बने।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद हिमाचल दोबारा विशेष श्रेणी राज्य बना है। अटल टनल का मामला राजनीतिक दृष्टि से नहीं उठाना चाहते हैं। नड्डा ने कहा कि पंद्रहवें वित्तायोग से हिमाचल को भी लाभ होगा।  

संबोधन के दौरान नड्डा भावुक भी हुए। उन्होंने कहा - मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बल्कि हिमाचली होने के नाते इस कार्यक्रम में शामिल हुआ हूं। नड्डा ने कहा कि जो लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं, वे सब भाग्यशाली हैं।

वह जब 11 साल के छोटे बालक थे तो अवकाश लेकर बिलासपुर आए थे। अखबार में पढ़ने को मिला था कि हिमाचल 18वां पूर्ण राज्य बन गया। नड्डा ने आह्वान किया कि याद रखना कि उजाले की इज्जत अंधकार को पहचानकर ही होती है।