वर्षा-ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, फसल बर्बाद
बबीता शर्मा - नाहन 23-04-2021
हिमाचल प्रदेश में दो दिन से जारी बारिश का दौर किसानों को खून के आंसू रुला रहा है। ऐसे में खेतों में पककर तैयार फसलें बुरी दशा में पहुंच चुकी हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत तो उस गेहूं की है, जो काटकर खेतों में बिछाई गई है। इसमें से अधिकांश पानी पर तैरती नज़र आ रही है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि तीन दिन से जारी बारिश ने किसानों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। उनका मामना है कि कृषि और बागबानी क्षेत्र इस बारिश और ओलावृष्टि से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
पहले सूखे ने गेहूं की फसल को चौपट कर दिया था। वहीं रही-सही फसल को किसान अभी बटोर ही रहे थे कि बारिश ने उसे खेतों में ही सुला दिया। साथ ही आम, लीची, प्लम, आड़ू व सेब आदि फलों के बूर व फूल भी ओलावृष्टि और तूफान से जमीन पर पहुंच गए हैं।
जिला सिरमौर के किसानों का कहना है कि बारिश-किसानों के लिए आफत बनकर बरसी है। बारिश के चलते गेंहू की फसल बर्बाद हो गई है। जिन किसानों ने अपनी गेहूं की फसल काट ली है, बारिश ने उसे खराब कर दिया।
हिमाचल प्रदेश में दो दिन से जारी बारिश का दौर किसानों को खून के आंसू रुला रहा है। ऐसे में खेतों में पककर तैयार फसलें बुरी दशा में पहुंच चुकी हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत तो उस गेहूं की है, जो काटकर खेतों में बिछाई गई है। इसमें से अधिकांश पानी पर तैरती नज़र आ रही है।
इसके अलावा कई स्थानों पर तूफान और ओलों के कारण फलों व सब्जियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कई जगह फूल झड़ गए हैं, तो कहीं कच्ची डंडियों पर पनप रहे फल जमीन पर आ बिछे हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि तीन दिन से जारी बारिश ने किसानों की कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। उनका मामना है कि कृषि और बागबानी क्षेत्र इस बारिश और ओलावृष्टि से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पहले सूखे ने गेहूं की फसल को चौपट कर दिया था, वहीं रही-सही फसल को किसान अभी बटोर ही रहे थे कि बारिश ने उसे खेतों में ही सुला दिया।