पूर्व ओलंपियन एवं पदमश्री चरणजीत सिंह का निधन, खेल प्रेमियों में शोक की लहर

भारतीय टीम के कप्तान रहे पूर्व हॉकी ओलंपियन, पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड के सम्मान से नवाजे जा चुके चरणजीत सिंह का आज सुबह निधन हो गया है।

पूर्व ओलंपियन एवं पदमश्री चरणजीत सिंह का निधन, खेल प्रेमियों में शोक की लहर
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  27-01-2022
 
भारतीय टीम के कप्तान रहे पूर्व हॉकी ओलंपियन, पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड के सम्मान से नवाजे जा चुके चरणजीत सिंह का आज सुबह निधन हो गया है। पद्मश्री चरणजीत सिंह 92 साल के थे और पिछले लंबे अरसे से ऊना स्वास्थ्य खराब चल रहा था।
 
ऊना में उन्होंने अपने घर पर गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली और सुबह पांच बजे उनका निधन हो गया। चरणजीत सिंह ऊना जिला मुख्यालय के पीरनिगाह रोड पर रहते थे। उनका जन्म 3 फ़रवरी 1931 को जिला ऊना के मैड़ी में हुआ था।
 
वह पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और 1964 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। हाल ही में हुए टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय हॉकी टीम के दमदार प्रदर्शन के बाद उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए इसे भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग का वापस आना करार दिया था। वर्ष 1964 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का बतौर कप्तान प्रतिनिधित्व करने वाले पद्मश्री चरणजीत सिंह का आज सुबह निधन हो गया।
 
भारतीय हॉकी में उनके योगदान को लेकर उन्हें पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।  3 फरवरी 1931 को ऊना जिला के ही मैड़ी में जन्मे पद्मश्री चरणजीत सिंह पिछले लंबे अरसे से अस्वस्थ चल रहे थे। बुधवार देर रात उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ने के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जिसके बाद स्वस्थ्य में कुछ सुधार होने पर परिजन उन्हें घर वापिस ले आये लेकिन सुबह 5 बजे घर पर ही उनका निधन हो गया।
 
पद्मश्री चरणजीत सिंह के निधन से जिला भर में शोक की लहर है। उनके निधन की खबर सुनते ही खेल प्रेमी, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और उनके प्रशंसक उनके अंतिम दर्शन के लिए पीर निगाह रोड स्थित उनके आवास पर पहुंचना शुरू हो गए थे।
 
उनके पुत्र वीपी सिंह और भाई एवं पूर्व हॉकी खिलाड़ी भूपिंदर सिंह ने पूर्व हॉकी ओलंपियन एवं पद्मश्री चरणजीत सिंह के निधन की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पद्मश्री चरणजीत सिंह करीब 7 वर्ष से बीमार चल रहे थे। चरणजीत खेलों को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तत्परता से सहायता प्रदान करते रहे।