फूड सप्लीमेंट्स की आड़ में नकली दवाओं का अवैध कारोबार , एनएचआरसी ने थमाएं नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में न्यूट्रास्युटिकल कंपनियों द्वारा फूड सप्लीमेंट्स की आड़ में नकली दवाओं के हो रहे निर्माण का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा भारतीय औषधि महानियंत्रक को नोटिस जारी

फूड सप्लीमेंट्स की आड़ में नकली दवाओं का अवैध कारोबार , एनएचआरसी ने थमाएं नोटिस

 

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन  03-06-2023


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में न्यूट्रास्युटिकल कंपनियों द्वारा फूड सप्लीमेंट्स की आड़ में नकली दवाओं के हो रहे निर्माण का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा भारतीय औषधि महानियंत्रक को नोटिस जारी किया है। एनएचआरसी ने इस संवेदनशील मामले में चार सप्ताह के भीतर संबंधित पक्षों को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 

 

आयोग ने जारी नोटिस में कहा है कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में कथित तौर पर 100 से अधिक न्यूट्रास्युटिकल कंपनियां सक्रिय हैं, जिनके पास खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत केवल खाद्य उत्पादों का उत्पादन करने का लाइसेंस है। इस वजह से यह भारतीय औषधि महानियंत्रक और राज्य दवा नियंत्रक के दायरे से बाहर हैं। पाया गया है कि खाद्य सुरक्षा विभाग और सरकारी विभागों के बीच तालमेल की कमी का फायदा कथित न्यूट्रास्युटिकल कंपनियां उठा रही हैं और धड़ल्ले से फूड सप्लीमेंट की आड़ में नकली दवा का निर्माण करती रही।

 

 

 आयोग ने पाया कि सरकारी विभागों की ओर से समन्वय की स्पष्ट कमी और उदासीनता के कारण लोगों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है, इसी कड़ी में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अध्यक्ष और भारतीय औषधि महानियंत्रक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर पूरे मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है। बता दें कि हिमाचल में नकली दवाओं के कारोबार में अब तक पांच कंपनियों को सील किया है, जिनमें से तीन कंपनियों के पास खाद्य पदार्थ बनाने का लाइसेंस था और कानून के मुताबिक वे एलोपैथिक दवाएं नहीं बना सकतीं। 

 

 

सनद रहे की 31 मार्च, 2022 तक सभी न्यूट्रास्यूटिकल कंपनियां खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 के दायरे में थी और राज्य के खाद्य सुरक्षा विभाग के पास बाकायदा नमूनों की जांच करने और लाइसेंस जारी करने का अधिकार था, लेकिन जब खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 अस्तित्व में आया, सभी शक्तियों को केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित कर दिया गया। बता दें कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण अब तक नकली दवा के कथित कारोबार में संलिप्त चार कंपनियों का पर्दाफाश कर चुका है। 

 

 

इसमें बद्दी स्थित आर्या फार्मा , एक्लाइम फॉर्मूलेशन को फूड लाइसेंस की आड़ में और ट्राइजल फॉर्मूलेशन को अनाधिकृत रूप से नामी कंपनियों के ब्रांड नाम की नकली दवाओं का निर्माण करते हुए पकड़ा गया था। इसके अलावा हाल ही में साईपर फार्मा में करोड़ों की नकली दवाएं पकड़ी गई थीं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में फूड लाइसेंस की आड़ में हो रहे नकली दवा उत्पादन जैसे चिंताजनक विषय को राज्य दवा नियंत्रक पहले ही भारतीय औषधि महानियंत्रक के समक्ष उठा चुके है।