बसें बंद होने से मार्किट तक नहीं पहुंच पा रही हैं फल सब्जियां व दूध

बसें बंद होने से मार्किट तक नहीं पहुंच पा रही हैं फल सब्जियां व दूध

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  12-06-2020

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एचआरटीसी की बसें बंद होने से जहां कर्मचारियों और अन्य कामकाजी लाेगों की दिनचर्या पर असर पड़ा है, वहीं लाेगों के छाेटे कारोबार पर भी असर पड़ा है। 

लाेगों के लिए पहले की तरह ही सफर करने पर भी लाॅकडाउन लग गया है। शिमला से धामी, शालाघाट, दुर्गापुर, चायल, जुन्गा, मशाेबरा और शाेघी के लिए सुबह और देर शाम के लिए बसों की आवाजाही बंद हैं।

कई क्षेत्रों के लिए ग्रामीणों की शिकायत करने के बाद बसों काे चला दिया जाता है, लेकिन बीते बुधवार से अब कई क्षेत्रों के लिए बसों की आवाजाही काे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। 

ऐसे में लाेगों काे खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। धामी, शाेघी, मशाेबरा, दुर्गापुर, बल्देयां, चायल और जुन्गा से अधिकतर किसान बसों के माध्यम से ही सब्जियां और दूध बाजार में बेचने के लिए लाते हैं।

जबकि अब बसें बंद होने से लाेगों का छोटा कारोबार भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। बसों में पहले से ही सोशल डिस्टेंसिंग के तहत लाेगों काे बिठाया जा रहा है, लेकिन अब लाेगों की आवाजाही के लिए बसों काे ही रूटों पर नहीं भेजा जा रहा है। 

अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि अगर निगम प्रबंधन काे घाटा हो ही रहा था ताे बसों काे चलाने के आदेश जारी क्यों किए गए। पहले से ही तय किया गया था सोशल डिस्टेंसिंग के तहत ही सवारियों काे बैठाया जाएगा। 

एक बस में सिर्फ 17 सवारियों काे बैठाने की परमिशन हाेगी। इसके बावजूद भी निगम प्रबंधन की ओर से बसों काे चलाने का फरमान जारी किया गया।

अब जब लाेगों की उम्मीदें जगी ताे बसों की आवाजाही काे बंद कर दिया गया। एचआरटीसी के इस तरह के निर्णय काे लेकर लाेगों में राेष व्याप्त हैं। 


बल्देंया के राम कुमार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लाेगों के लिए पहले की तरह ही लाॅकडाउन की स्थिति है। किसी व्यक्ति ने सामान बाजार से लाना है या सब्जियां और दूध बेचने के लिए जाना है ताे वह कैसे जाएगा। उसे या ताे निजी गाड़ी में जाना पड़ेगा या फिर किराए की टैक्सी करनी पड़ेगी। बसें बंद होने से दिक्कत आ रही है। 

मशाेबरा के रहने वाले अनिल कुमार का कहना है कि सुबह और शाम दोनों समय में बसें मिलनी चाहिए। तभी लाेगों काे सुविधा मिलेगी।

क्योंकि सुबह शिमला शहर आने के लिए और शाम काे घर जाने के लिए दोनों समय बसें चलनी चाहिए। एचआरटीसी प्रबंधन काे टाइम टेबल तैयार करना चाहिए और इसके तहत ही ग्रामीण रूटों पर बसों काे भेजना चाहिए। 

चनावग पंचायत के उपप्रधान पवन शर्मा का कहना है प्राइवेट बसें पहले ही नहीं चल रही, अब सरकारी बसें भी नहीं चल रही है।

शिमला के लिए अपने कामकाज के लिए आना है ताे निजी गाड़ी से आना पड़ता है। कई बार एक बस भेज दी जाती है, लेकिन इसमें कम ही सवारी बैठ पाती हैं। सरकारी बसें तो चली चाहिए।

दुर्गापुर के ललित चौहान का कहना है कि सभी रूटों पर बसें चलाना जरूरी है। जब रूटों पर लाेगों काे बसें मिलेगी तभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बसों में हाेगा।

अगर कम बसें रूटों पर मिलेगी, ताे लाेगों काे मजबूरन उसमें बैठना पड़ता है। निगम प्रबंधन की ओर से जब शुरू में बसों काे चलाया गया था ताे सभी रूटों पर बसें भेजी गई। जबकि अब बसों काे कम कर दिया गया है।