भंडाफोड़ : तिब्बती रिफ्यूजी कैंप में नेपाली बनकर 2019 से रह रही थी चीन जासूस
दिल्ली पुलिस ने चीनी महिला काई रूओ को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गुरुवार को तिब्बती रिफ्यूजी कैंप मंजनू का टिल्ला से गिरफ्तार किया
यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 23-10-2022
दिल्ली पुलिस ने चीनी महिला काई रूओ को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गुरुवार को तिब्बती रिफ्यूजी कैंप मंजनू का टिल्ला से गिरफ्तार किया। वह भारत में नेपाली नागरिकता सर्टिफिकेट के बेसिस पर रह रही थी। इसमें उसने अपना नाम डोलमा लामा बताया है।
काई रूओ वर्ष 2019 से बौद्ध भिक्षु डोलमा लामा के रूप में भारत में रह रही थी। उसने हिमाचल के मैक्लोडगंज में भी काफी समय गुजारा। दिल्ली पुलिस ने इसके बारे में हिमाचल पुलिस से जानकारियां मांगी हैं। हालांकि हिमाचल के धर्मशाला शहर में विदेशी नागरिकों के रजिस्ट्रेशन के बनी ब्रांच में काई रूओ की कोई एंट्री दर्ज नहीं है।
ऐसे में काई रूओ के बारे में कांगड़ा पुलिस या अन्य ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास कोई जानकारी नहीं है क्योंकि वह यहां नेपाली बौद्ध भिक्षु के नाम से ठहरी थी। भारतीय अधिकारियों के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, काई रूओ चीन के हैनान प्रांत की रहने वाली है। कांगड़ा के एसपी डॉ. खुशहाल शर्मा ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इंटेलिजेंस इनपुट साझा किए हैं।
काई रूओ के धर्मशाला में रहने से जुड़ी डिटेल जुटाई जा रही है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन से भी इस संबंध में जानकारी मांगी गई है। दिल्ली पुलिस की प्राइमरी जांच में सामने आया है कि काई रूओ चीनी नागरिक है और उसने वर्ष 2019 में चाइनीज पासपोर्ट का इस्तेमाल करते हुए भारत की यात्रा की थी।
उसने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की। उसने कहा कि चाइना के कम्युनिस्ट नेता उसे मारना चाहते थे इसलिए वह भारत भाग आई। इसी वजह से वह यहां नेपाली नागरिक डोलामा लामा बनकर रह रही थी। काई रूओ ने दावा किया कि वह नेपाल में काठमांडू की रहने वाली है।
उसने दिल्ली पुलिस के अफसरों के सामने एक नेपाली पहचान पत्र भी पेश किया। पुलिस अफसरों को उसकी इस कहानी पर शक इसलिए हुआ क्योंकि वह फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रही थी मगर उसे नेपाली भाषा नहीं आती थी।
पुलिस को इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि काई रूओ के नाम से एक चाइनीज पासपोर्ट जारी हुआ और वह उसी पासपोर्ट के आधार पर भारत में रह रही थी। वर्ष 2019 में उसने पश्चिम बंगाल के रानीगंज बॉर्डर एरिया से नेपाल में प्रवेश किया और वहां से नेपाली आईडी हासिल करने के बाद दोबारा भारत आई।