भारत की आन बान और शान तिरंगा जंग का मैदान बने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का सुरक्षा कवच

भारत की आन बान और शान तिरंगा जंग का मैदान बने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का सुरक्षा कवच बना हुआ है। बता दें कि यूक्रेन में कई भारतीय छात्र भी फंसे हुए...

भारत की आन बान और शान तिरंगा जंग का मैदान बने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का सुरक्षा कवच

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन   28-02-2022

भारत की आन बान और शान तिरंगा जंग का मैदान बने यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का सुरक्षा कवच बना हुआ है। बता दें कि यूक्रेन में कई भारतीय छात्र भी फंसे हुए है, इनमें सैकड़ों की तादाद में हिमाचली भी है। भारतीयों की वतन वापसी का सिलसिला शुरू होते ही यूक्रेन में फंसे हिमाचली छात्रों की वापसी भी शुरू हो गई है। 

बता दें कि रविवार सुबह यूक्रेन से दिल्ली पहुुंचे 240 मेडिकल छात्रों में बद्दी की भी एक छात्रा शामिल है, हाल ही में यूक्रेन एमबीबीएस की पढ़ाई करने गई हाउसिंग बोर्ड़ बद्दी की अंकाक्षा रविवार सुबह तीन बजे दिल्ली पहुंची। 

अकांक्षा दिल्ली से बद्दी के लिए रवाना हो गई है और रविवार देर रात वह परिजनों के साथ होगी। अकांक्षा ने बताया कि उसे यूक्रेन के बोकोगनियल स्टेट मेडिकल कालेज में एडमिशन मिली थी, जिसके बाद वह विगत सात फरवरी को एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन चली गई थी। 

उनकी क्लासें अभी शुरू नहीं हुई थी और पासपोर्ट भी वापस नहीं मिले थे, हालांकि जिस क्षेत्र में उनका कालेज था वो बिलकुल सुरक्षित क्षेत्र था पर 24 फरवरी से वहां हालात खराब होने शुरू हो गए थे। पासपोर्ट न होन की वजह से हम लोग घर वापस नहीं आ सकते थे।

अंकाक्षा ने भारत सरकार का शुक्रिया जतात हुए कहा कि हमें यहां से निकालने के लिए न केवल बस की व्यवस्था करवाई बल्कि एयर टिकट से लेकर खाने पीने तक की भी अच्छी व्यवस्था की गई थी। 

अंकाक्षा ने बताया कि सरकार ने यूनिर्वसिटी से लेकर बार्डर तक बस की व्यवस्था करवाई थी, परंतु बोकोगनियल सुरक्षित क्षेत्र होने के चलते राजधानी कीव व अन्य स्थानों से लोग यहां आकर जान बचाने के लिए वहां जमा हो गए थे। ऐसे में वाहनों की भरमार के बीच कड़ाके की ठंड में उन्हें दस किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा। इस दौरान भी उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ हर प्रकार की सुविधा मुहैया करवाई गई। 

अकांक्षा ने बताया कि बार्डर पर उन्हें एक पेट्रोल पंप पर ठहराया गया व ठंड के कारण कुछ बच्चों की तबीयत खराब हो गई, उन्हें हीटर आदि की व्यवस्था की गई। उनकी बस पर लगे तिरंगे झंडे ने उन्हें रास्ते में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आई , न ही उन्हें किसी ने रास्ते में परेशान किया। 

अकांक्षा रूमानिया से छह घंटे की फलाइट के बाद सुबह तीन बजे दिल्ली पहुंच गई है अकांक्षा ने बताया कि कु ल 240 छात्र थे जिनका केंद्रीय उडयन मंत्री ज्योतिराव सिंधिया समेत सैकड़ों लोगों ने दिल्ली पहुंचने पर स्वागत किया । (एचडीएम)

अकांक्षा के पिता राकेश गुप्ता का कहना है उन्होंने लाखों रुपए खर्च करके अपनी बेटी को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए युके्रन भेजा था, ताकि डिग्री हासिल कर वो अपने देश भारत के लोगों केा स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा सके। परंतु अचानक छिड़े युद्ध ने उनकी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।