यक्ष प्रश्न : क्या वीरभद्र सिंह के बाद एक रह पाएगी कांग्रेस या फिर.......

यक्ष प्रश्न : क्या वीरभद्र सिंह के बाद एक रह पाएगी कांग्रेस या फिर.......

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  09-07-2021

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी में एकजुटता का संकट पैदा हो गया है। प्रदेश में बेशक कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं मगर उनका एकजुट होना आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती होगा।

बेशक प्रदेश कांग्रेस में बहुत से नेताओं के वीरभद्र सिंह के तात्कालिक मतभेद रहे हों, इसके बावजूद वीरभद्र सिंह की राजनीतिक कुशलता के कारण सभी उनके सुरों में सुर मिलाते रहते थे। अगले साल हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। इन चुनावों में कांग्रेस दोबारा से सत्ता में लौटने के लिए आतुर है।

लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे पर सहमति बनाना टेढ़ी खीर साबित होगा। पिछले कई चुनावों में वीरभद्र ही सीएम पद का चेहरा रहे हैं। बेशक विद्या स्टोक्स, आनंद शर्मा, कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली , हर्षवर्धन चौहान और आशा कुमारी जैसे नेता भी इस कतार में खड़े हैं। आनंद शर्मा विवादित बयान के बाद कांग्रेस हाईकमान में अपना रसूख खो चुके हैं।

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भी अब उनका पहले जैसा दखल नहीं है। 90 की उम्र पार कर चुकीं वयोवृद्ध नेता विद्या स्टोक्स पहले ही सक्रिय राजनीति छोड़ चुकी हैं।

ऐसे में हिमाचल कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चाहवानों में वर्तमान में कांग्रेस विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, पंजाब की प्रभारी रह चुकीं पूर्व मंत्री आशा कुमारी, पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू , पूर्व मंत्री जीएस बाली जैसे नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होंगे। इनमें से कई नेताओं में इस पद की तलब पहले भी उठती रही है।

कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए हाईकमान ने हमेशा वीरभद्र के सामने घुटने टेक दिए। हालांकि इस बार हालात बदल गए हैं। ऐसी स्थिति में इन नेताओं को कांग्रेस की एक छतरी के नीचे लाना हाईकमान के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। वीरभद्र सिंह एक बड़े कद के नेता थे।

पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु के बाद वीरभद्र सिंह देश में 22 साल के लंबे कार्यकाल तक छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं। यही कारण है कि उनके निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को खुद राहुल गांधी आनन-फानन में शिमला पहुंचे। राहुल गांधी इस बीच कांग्रेस के इन नेताओं की नब्ज भी टटोलेंगे।

हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है। कांग्रेस अगले साल सत्ता में अपनी बारी मान रही है। वहीं हिमाचल प्रदेश ने देश में भाजपा को बड़े नेता दिए हैं। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद भाजपा अपने मिशन रिपीट को आसान मानने लगी है।

कांग्रेस के पास केंद्र और हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन ताकतवर भाजपा से भिड़ने के लिए एकजुटता के अलावा और कोई चारा नहीं होगा। और वीरभद्र सिंह के बाद सेकंड लाइन के इन नेताओं में से कइयों को मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को छोड़ना होगा और किसी एक चेहरे को आगे कर चुनावी रणभूमि में उतरना होगा। वरना गुटों में बंटी कांग्रेस का रास्ता हिमाचल में कांटों भरा ही होगा।