युवा पीढ़ी को खोखला बना रहा रहा नशा , मां-बाप से भी नशे की आदत सीखते है बच्चें : डॉ. निधि शर्मा 

माता-पिता में नशे की लत हो तो बच्चों में दो से तीन गुना नशेड़ी या नशे का रोगी बनने का ज्यादा खतरा हो जाता है। यानी अगर मां-बाप नशा करते हैं तो बच्चे भी आनुवांशिक कारणों से नशा करने लग जाते हैं। उनके मस्तिष्क की बनावट ही उस तरह की होने लगती है। किशोरावस्था या युवावस्था में मानसिक रोगों का उपचार न होना भी नशे का रोगी बनने का एक

युवा पीढ़ी को खोखला बना रहा रहा नशा , मां-बाप से भी नशे की आदत सीखते है बच्चें : डॉ. निधि शर्मा 

 

यंगवार्ता न्यूज़ -  शिमला  01-05-2023

 

माता-पिता में नशे की लत हो तो बच्चों में दो से तीन गुना नशेड़ी या नशे का रोगी बनने का ज्यादा खतरा हो जाता है। यानी अगर मां-बाप नशा करते हैं तो बच्चे भी आनुवांशिक कारणों से नशा करने लग जाते हैं। उनके मस्तिष्क की बनावट ही उस तरह की होने लगती है। किशोरावस्था या युवावस्था में मानसिक रोगों का उपचार न होना भी नशे का रोगी बनने का एक अन्य कारण है। 

 

यह बात आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग की सहायक प्रोफेसर एवं नशा रोग विशेषज्ञ डॉ. निधि शर्मा ने राजभवन शिमला में नशे पर प्रस्तुति देते हुए कही। डॉ. निधि ने कहा कि नशे से संबंधित रोगों और इसके पूरे इलाज वाले पहलू को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। दवाई देकर लगातार उपचार और परिजनों की काउंसलिंग से ही इसे काबू किया जा सकता है। इससे संबंधित मेडिकल उपचार के तीन चरण होते हैं। हर चरण में अलग दवाई और उपचार किया जाता है। शुरुआती उपचार में दोबारा नशा आ जाता है। 

 

मगर जैसे-जैसे इलाज आगे बढ़ता है तो दोबारा नशा लेने की दर कम होती जाती है और रोगी रिकवर होने लगता है। हिमाचल में राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा चिट्टा और भांग का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि भांग के इस्तेमाल में भी हिमाचल प्रदेश की स्थिति चिंताजनक है। आईजीएमसी शिमला के मनोरोग विभाग में नशे के रोगियों का सफलता से उपचार किया जा रहा है। कई मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। 

 

उधर डीआईजी अपराध शाखा डीके चौधरी ने यंगवार्ता न्यूज़ को बताया कि छह वर्षों में भांग पर काम शुरू हुआ है। राज्य में भांग की खेती गैर कानूनी है। अगर देखें तो इसी प्रक्रिया के चलते हुए 40 फीसदी कैदी हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद हैं। प्रदेश में हेरोइन को मिक्स करके चिट्टा का बड़ा प्रचलन हो गया है। गैर कानूनी तरीके से भांग की खेती भी बढ़ गई है। चिट्टा खतरनाक नशीली दवा है। छह साल में दर्ज मामलों की बात करें तो पकड़े गए मामले बढ़ गए हैं। 

 

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि नशे के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केवल पुलिस को ही इसे नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए सामाजिक स्तर पर बड़ा अभियान चलाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कहा कि नशे की प्रवृत्ति को रोककर हिमाचल की पवित्रता को बचाने का प्रयास किया जाए।