भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द आज शिमला में राष्ट्रीय लेखा परीक्षा तथा लेखा अकादमी द्वारा आयोजित भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवाएं बैच 2018 और 2019 के प्रशिक्षु अधिकारियोें के विदाई समारोह के अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मेधावी प्रशिक्षु अधिकारियों को पदक प्रदान किए। भारत की प्रथम महिला सविता कोविंद , राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री का स्वागत किया। राष्ट्रीय लेखा परीक्षा तथा लेखा अकादमी के महानिदेशक सुनील एस. दाढे ने अकादमी की विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, पुलिस महानिदेशक संजय कुडू और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। समारोह के दौरान आइए एंड एएस के 2018 और 2019 बैच के 38 प्रशिक्षु अधिकारियों को राष्ट्रपति और गणमान्य की उपस्थिति में उनके इंडक्शन प्रशिक्षण पूर्णता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
प्रत्येक बैच के तीन शीर्ष प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षु अधिकारियों को राष्ट्रपति ने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा लेखा परीक्षा कार्य प्रणाली की गहरी समझ हासिल करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं और सीएजी को सुधार के सुझाव देने की अच्छी स्थिति में रखते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा 18 महीने देश के लिए बहुत ही कठिन रहे हैं। कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकार ने संकट को कम करने और गरीबों के कल्याण के लिए विभिन्न वित्तीय उपाय किए हैं। इसमें सीएजी की बहुत अहम भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा नागरिकों की सुविधा के लिए सरकारी प्रक्रियाओं को तेजी से डिजिटल किया जा रहा है। तेजी से फैलती प्रौद्योगिकी सीमा ने राज्य और नागरिकों के बीच की दूरी को कम कर दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा डीबीटी ( डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ) से समाज के गरीब तबके तक कंप्यूटर के एक क्लिक से पैसा पहुंच रहा है। लेखा परीक्षा के दृष्टिकोण से यह एक छोटी चुनौती और विशाल अवसर है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा परिवेश सीखने की गतिविधियों के लिए एक महान स्थान है। उन्होंने कहा कि सीएजी ने पर्यावरण लेखा परीक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के उपाय किए हैं।
उन्होंने कहा कि यह हमारे भविष्य के लिए बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि संसाधन परिमितता की बाधाओं को केवल मानव नवाचार द्वारा ही आंशिक रूप से संबोधित किया जा सकता है।
हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए किए जाने वाले बलिदानों के बारे में जागरूक करने में सीएजी की बड़ी भूमिका है।अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा लोक सेवकों के रूप में वे सबसे गरीब लोगों की सेवा करने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में सक्षम होने पर सबसे अधिक संतुष्टि प्राप्त करेंगे।
अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते हुए हमें सौंपी गई इस सामान्य जिम्मेदारी के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए।राष्ट्रीय लेखा परीक्षा और लेखा अकादमी शिमला भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान है।
इस दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू भी मौजूद रहे।