राहत :कालका से शिमला का ट्रेन का सफर अब 4 घंटे से कम समय में होगा तय
कालका से शिमला का ट्रेन का सफर जल्द ही 4 घंटे से कम समय में तय होगा। अभी पांच घंटे से अधिक का समय लगता है। कालका-शिमला ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन) की टेस्टिंग टीम ने ट्रायल शुरू
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 11-11-2022
कालका से शिमला का ट्रेन का सफर जल्द ही 4 घंटे से कम समय में तय होगा। अभी पांच घंटे से अधिक का समय लगता है। कालका-शिमला ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन) की टेस्टिंग टीम ने ट्रायल शुरू कर दिया है।
ट्रेन की रफ्तार 25 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 30 किमी प्रति घंटा करने की तैयारी है। आरडीएसओ लखनऊ की 13 सदस्यीय टेस्टिंग टीम ने शिमला और शोघी के बीच ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने के लिए दूसरे चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है। चार कोच और दो इंजन (लोको 701 और 708) वाली ट्रेन में सेंसर लगा कर ट्रायल किए जा रहे हैं।
इसके लिए खासतौर पर कालका से इंजन लाए गए हैं। चलती गाड़ी में पिस्टन से सेंसर को क्षति न पहुंचे इसके लिए एहतियात बरती गई। इंजन में स्पीडोमीटर, यूपीएस, कंट्रोलर, डाटा लॉगर और बैटरी फि ट की है। कोच में वजन के रेल और पत्थर से भरे बोरे रखे हैं।
वीरवार को ट्रायल के दौरान शिमला से शोघी की ओर ट्रेन 25 किमी प्रति घंटा की सामान्य रफ्तार से चलाई गई जबकि शोघी से शिमला की ओर 18 किलोमीटर की दूरी ट्रेन ने अधिकतम 33 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तय की।
कालका-शिमला ट्रैक पर 48 डिग्री तक तीव्र घुमावदार मोड़ हैं। इन पर ट्रेन की स्पीड बढ़ाना पेचीदा काम है। कई जगह हर सौ से डेढ़ सौ मीटर पर टनल हैं जिससेे गति बढ़ाने में समस्या पेश आ सकती है। आरडीएसओ की टीम ट्रेन की रफ्तार मानकों के अनुसार जीपीएस से मापना चाहती है पर टनल के भीतर जीपीएस सही से काम नहीं करता।
गाडि़यों की रफ्तार बढ़ाने को लेकर तीसरे चरण के ट्रायल के बाद आरडीएसओ लखनऊ की टीम विस्तृत रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजेगी। रिपोर्ट का आंकलन करने के बाद रेलवे बोर्ड गाडि़यों की रफ्तार बढ़ाने को लेकर अंतिम फैसला लेगा। दूसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद इसी माह तीसरे चरण का ट्रायल करने की योजना है।