कोरोना का कहर : लॉकडाउन के कारण पुष्प उत्पादकों को भारी नुकसान  

कोरोना का कहर : लॉकडाउन के कारण पुष्प उत्पादकों को भारी नुकसान  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   27-04-2020

हिमाचल प्रदेश में लॉकडाऊउन के दौरान पुष्प उत्पादन को भारी नुकसान पहुचा है। किसान सभा के मुताबिक राज्य में 100 फीसदी फसल तबाह हो चुकी है।

हिमाचल किसान सभा ने राज्य सरकार से इस समस्या को देखते हुए उत्पादकों को राहत देने की मांग उठाई है। 

सभा ने इस बाबत मुख्यमत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है। कोविड-19 महामारी और उसके बचाव के लिए हुए लॉकडाउन के चलते अन्य क्षेत्रों की तरह पुष्प उत्पादकों को भी इस बार 100 फीसदी नुकसान का सामना करना पड़ा है। 

किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह तनवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में करीब 650 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती की जाती है। पुष्प उत्पादक प्रदेश की आर्थिकी में 100 करोड़ रुपए का योगदान दे रहे हैं। 

अन्य व्यवसाय की अपेक्षा फूलों की खेती में तुलनात्मक रूप से बेहतर आमदनी के चलते आज प्रदेश का युवा वर्ग भी इस व्यवसाय में शामिल है।

इसमें मुख्यतः कारनेशन, लिलियम और जेरबरा का प्रोडक्शन शामिल है, जो कुल पुष्प उत्पादन का 65.70 फीसदी है। 

अप्रैल-मई के महीने में फूलों की खेती अपने चरम पर होती है। लगभग दो तिहाई उत्पादन की खपत तथा किसानों को अच्छे दाम भी इसी समय मिलते हैं,

लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार, होटल, उत्सव, त्योहार व मेले  बंद होने से फूलों की बिक्री व खपत शून्य हो गई है और पुष्प उत्पादकों की मेहनत और आमदनी भी शून्य हो गई है। 

किसान सभा पिछले कई वर्षों से पुष्प उत्पादकों की समस्याओं को प्रदेश सरकार के समक्ष उठाती रही है, जिसमें फूलों की शेल्फ  लाइफ  बढ़ाने के लिए उपयुक्त भंडारण की व्यवस्था करना, प्लाटिंग व स्ट्रक्चर मेटीरियल तथा इसकी मरम्मत के लिए अनुदान देना व इसे बढ़ाना शामिल हैं, लेकिन कोई संतोषजनक पहल इस दिशा में नहीं हो पाई है।

हिमाचल किसान सभा ने मुख्यमंत्री से मांग उठाई है कि इस संकट के दौर में प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को दोहरी मार से बचाने के लिए नुकसान का उपयुक्त आकलन किया जाया जाए और प्रभावित पुष्प उत्पादकों को वाजिब राहत दी जाए, ताकि किसानों की इस उन्नत एवं तकनीकशुदा खेती से मोहभंग न हो तथा इनके नुकसान की भी भरपाई हो सके।