लॉकडाउन के बहाने कर्मियो का गला घोट रहे मीडिया हाउस , सुप्रीम कोर्ट पंहुचा छंटनी और वेतन में कटौती का मामला

लॉकडाउन के बहाने कर्मियो का गला घोट रहे मीडिया हाउस , सुप्रीम कोर्ट पंहुचा छंटनी और वेतन में कटौती का मामला


न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 17 April 2020

देशभर के प्रिंट डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया में लाकडाउन के चलते प्रसार संख्या में भारी गिरावट और विज्ञापन आय में भारी कमी के नाम पर पत्रकारों - गैर पत्रकारो को फायर करने ( छंटनी ) और वेतन कटौती का मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है।

पत्रकारों की कुछ यूनियनो ने उन सभी मीडिया संस्थानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका ( पीआईएल ) दायर की है। जिन्होंने देशव्यापी लाकडाउन के चलते अपने यहां कर्मचारियों की छंटनी कर दी है या उन पर कम वेतन लेने के लिए दबाव बनाया है। अखबारों के नियोक्ताओं और मीडिया सेक्टर पर आरोप लगाया गया है कि वह अपने कर्मचारियों के प्रति अमानवीय और गैरकानूनी व्यवहार कर रहे हैं। इस याचिका में मांग की गई है कि लाकडाउन की घोषणा के बाद नौकरी से हटाने के लिए जारी नोटिस वेतन कटौती इस्तीफे के लिए किए गए मौखिक या लिखित अनुरोध और बिना वेतन छुट्टी पर जाने के जारी किए सभी निर्देश को तुंरत प्रभाव से निलंबित या रद कर दिया जाए। नेशनल एलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्सए दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और बृहन मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने मिलकर यह याचिका संयुक्त रूप से दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी की जा रही एडवाइजरी और प्रधानमंत्री द्वारा दो बार अपील करने के बावजूद भी मीडिया क्षेत्र में नियोक्ता अपनी मनमानी कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार ने विशेष रूप से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों को कामकाज जारी रखने की अनुमति दी है। वहीं भारत के प्रधानमंत्री ने अपील की है और भारत सरकार ने भी एडवाइजरी जारी की है कि किसी की भी सेवाएं समाप्त न की जाए या कर्मचारियों के वेतन में कटौती न की जाए।

इन तथ्यों के बावजूद भी कई नियोक्ताओं समाचार पत्र संस्थानो मीडिया सेक्टर के मालिकों ने एक तरफा फैसला लेते हुए कई कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। वेतन में कटौती की गई और कर्मचारियों को जबरन अनिश्चित काल के लिए बिना वेतन के अवकाश पर भेज दिया गया है।

हिमाचल में भी कुछ मीडिया संस्थानों ने भी लॉकडाउन के बहाने न केवल मीडिया कर्मियों के वेतन कटौती की है , बल्कि स्टाफ की छटनी भी शुरू कर दी है।

याचिका में यह भी बताया गया है कि मीडिया हाउसों को कुछ समय के लिए बंद करना भी औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का उल्लंघन है और यह सभी कंपनियां इसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं जबकि इस बात पर विचार नहीं किया जा रहा है कि इस समय में नई नौकरी खोजने में कितनी कठिनाइयां सामने आने वाली हैं।

ऐसे 9 उदाहरणों का हवाला भी दिया गया है जिनमें 15 मार्च 2020 के बाद से ऐसी ही कार्रवाई की गई है। याचिका में मांग की गई है कि इस संबंध में केंद्र इंडियन न्यूज पेपर सोसाइटी और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को निर्देश दिए जाएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लॉकडाउन का दुरुपयोग करके ऐसी कोई मनमानी कार्रवाई न की जा सके।

याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते मीडिया उद्योग में नौकरी से हटाने और वेतन कटौती की प्रक्रिया लागू हुई है। मीडिया हाउसों ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का उल्लंघन करते हुए अपने संस्थानों को कुछ समय के लिए बंद कर दिया है।

एडवाइजरी और कानूनी प्रावधानों से साफ है कि बिना किसी उचित प्रक्रिया के छंटनी करनाए निलंबित करना या नौकरी समाप्त करना और प्रकाशनों को बंद करने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद मीडिया कंपनियां इन उपायों के साथ आगे बढ़ी हैं।

बिना इस बात की परवाह किए कि मौजूदा लाकडाउन की स्थिति में लोगों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है वह इन कर्मचारियों को नई नौकरी खोजने के लिए अकेला या बेसहारा छोड़ रही हैं।