विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा भारत देश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के शुरुआत में राष्ट्रपति ने कहा कि 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं
न्यूज़ एजेंसी - दिल्ली 26-01-2023
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के शुरुआत में राष्ट्रपति ने कहा कि 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम सब एक ही हैं और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है।
भारत विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी। राष्ट्रपति ने कहा कि हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकते हैं।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए ‘गगनयान’ कार्यक्रम प्रगति पर है। यह भारत की पहली मानव-युक्त अंतरिक्ष-उड़ान होगी। हम सितारों तक पहुंचकर भी अपने पांव जमीन पर रखते हैं।
भारत की तरक्की में महिलाओं की भूमिका की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का ‘मंगल मिशन’ असाधारण महिलाओं की एक टीम द्वारा संचालित किया गया था और अन्य क्षेत्रों में भी बहनें-बेटियां अब पीछे नहीं हैं। महिला सशक्तिकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं।
सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया। राष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षार्थियों को इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाती है। हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है।