श्रीहरिकोटा स्टेशन में चंद्रयान-3 की लांचिंग, 23 या 24 अगस्त को करेगा लैंड

देश का चंद्रयान-3 शुक्रवार को इतिहास रचने निकल पड़ा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्टेशन में चंद्रयान-3 की लांचिंग भारतीय समय अनुसार 2:35 पर की गई

श्रीहरिकोटा स्टेशन में चंद्रयान-3 की लांचिंग, 23 या 24 अगस्त को करेगा लैंड

न्यूज़ एजेंसी - श्रीहरिकोटा   14-07-2023

देश का चंद्रयान-3 शुक्रवार को इतिहास रचने निकल पड़ा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्टेशन में चंद्रयान-3 की लांचिंग भारतीय समय अनुसार 2:35 पर की गई। चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए अपग्रेडेड बाहुबली रॉकेट यानी लांच व्हीकल मार्क-3 (एमवी-3) का इस्तेमाल किया गया है। 

एमवी-3 का लांचिंग सक्सेस रेट 100 फीसदी है। इसरो ने एक ट््वीट में कहा कि 642 टन भार के साथ 43.5 मीटर लंबा वाहन वाहक है। चंद्रयान-3 को उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद 179 किलोमीटर की जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित किया जाएगा, जहां से यह चंद्र की सतह पर सुरक्षित लैंङ्क्षडग और घूमने के लिए अपनी लंबी यात्रा शुरू करेगा। 

3.5 लाख किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा के बाद अगस्त के आखिरी हफ्ते में सॉफ्ट लैंडिंग होने की उम्मीद है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ के अनुसार चंद्रमा पर सूर्योदय होने पर तिथि (उतरने की तिथि) तय की जाती है। जब हम उतर रहे हों, तो सूर्य की रोशनी अवश्य होनी चाहिए। इसलिए लैंडिंग 23 या 24 अगस्त को होगी। 

उन्होंने कहा कि यदि 23 या 24 अगस्त को योजना के अनुसार चंद्रयान की लैंडिंग नहीं होती है, तो इसरो सितंबर में लैंडिंग का प्रयास करने के लिए एक और महीने तक इंतजार करेगा। लैंडर और रोवर सूर्य की रोशनी आने तक 14 दिनों तक चंद्रमा पर रहेंगे। जब सूर्य का प्रकाश नहीं होगा, तो रोवर पर लगा एक छोटा सौर पैनल बिजली उत्पन्न करेगा और रोशनी आने तक अगले 14 दिनों के लिए बैटरी को चार्ज करेगा।

सफल लैंडिंग के साथ चांद पर राष्ट्रध्वज लगाने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इसी के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला भारत पहला देश बन जाएगा। मशन की सफलता को इसरो के वैज्ञानिकों ने तिरुपति में की पूजा है।

इस बार लैंडर में चारों कोनों पर लगे चार इंजन (थ्रस्टर) तो हैं, लेकिन पिछली बार बीचोंबीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया है। इसके अलावा फाइनल लैंडिंग केवल दो इंजन की मदद से ही होगी, ताकि दो इंजन आपातकालीन स्थिति में काम कर सकें। इसी तरह इस बार ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा, जो लैंडर और रोवर से अलग होने के बाद भी चंद्रमा की परिक्रमा में घूमेगा और चंद्रमा से धरती पर जीवन के लक्षण पहचानने की कोशिश करेगा।