सूखे की चपेट में जिला सिरमौर , गिरिपार क्षेत्र में लहसुन समेत सभी नकदी फसलें बर्बादी की कगार पर
जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में पिछले लंबे समय से बारिश ना होने के चलते रबी की फसलें सूखे की चपेट में आ गई है। आलम यह है कि गिरिपार क्षेत्र के शिलाई , संगड़ाह, हरिपुरधार , नोहराधार , कमरऊ , कफोटा , नैनीधार और राजगढ़ आदि क्षेत्रों में लहसुन और मटर की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है
लाल सिंह शर्मा - श्री रेणुका जी 23-04-2022
जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में पिछले लंबे समय से बारिश ना होने के चलते रबी की फसलें सूखे की चपेट में आ गई है। आलम यह है कि गिरिपार क्षेत्र के शिलाई , संगड़ाह, हरिपुरधार , नोहराधार , कमरऊ , कफोटा , नैनीधार और राजगढ़ आदि क्षेत्रों में लहसुन और मटर की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। जानकारी के मुताबिक ना केवल लहसुन और मटर बल्कि रबी की अन्य फसलें गेहूं , मसूर , चना आदि भी सूखे की चपेट में आ गई है , जिसके चलते जिला के किसानों के भविष्य की चिंता सता रही है।
जिला सिरमौर के कृषकों का कहना है कि जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र को सूखाग्रस्त एरिया घोषित किया जाए तथा किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए। हिमाचल प्रदेश किसान सभा जिला सिरमौर के अध्यक्ष रमेश वर्मा ने कहा कि जिला सिरमौर में रबी की फसल सूखे की चपेट में आ गई है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की किसानों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाए जाए तथा जो किसानों की फसलें नष्ट हुई है उन्हें मुआवजा दिया जाए।
किसान सभा ने हिमाचल प्रदेश सरकार से यह भी मांग की है कि जिन किसानों ने केसीसी के तहत ऋण लिया है उनका ऋण भी माफ किया जाए। गौर हो कि जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की एकमात्र नकदी फसल अदरक पिछले तीन दशक से सड़न रोग की चपेट में आई है जिसका अभी तक कृषि वैज्ञानिक कोई भी उपचार नहीं निकाल पाए हैं , जिसके चलते ग्रीन पार्क के किसानों ने लहसुन मटर और टमाटर को अदरक का विकल्प के रूप में चुना था , लेकिन मौसम के विपरीत परिस्थितियों के चलते इस बार नकदी फसलों पर सूखे के बादल मंडरा गए हैं।
लंबे समय से बारिश ना होने के कारण किसानों की लहसुन, मटर, गेहूं , मसूर और चने आदि की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। किसानों ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि सूखाग्रस्त एरिया का सर्वेक्षण करवाया जाए तथा किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही गिरीपार क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर विशेष प्रोत्साहन योजना आरंभ की जाए ताकि किसान दो जून की रोटी जुटा सके।