सिद्धपीठ और शक्तिपीठ धर्मनगरी हरिद्वार में माँ दुर्गा मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़ 

सिद्धपीठ और शक्तिपीठ पीठ की भूमि कहे जाने वाली धर्मनगरी हरिद्वार में माँ दुर्गा के अनेक मंदिर है। इन्ही मंदिरों में से एक है यहां का प्रख्यात माँ चंडी देवी का मंदिर। यहां चंडी देवी मंदिर में माँ भगवती खम्ब रूप में विराजमान

सिद्धपीठ और शक्तिपीठ धर्मनगरी हरिद्वार में माँ दुर्गा मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़ 

न्यूज़ एजेंसी - हरिद्वार    02-04-2022

सिद्धपीठ और शक्तिपीठ पीठ की भूमि कहे जाने वाली धर्मनगरी हरिद्वार में माँ दुर्गा के अनेक मंदिर है। इन्ही मंदिरों में से एक है यहां का प्रख्यात माँ चंडी देवी का मंदिर। यहां चंडी देवी मंदिर में माँ भगवती खम्ब रूप में विराजमान है।

वैसे तो साल भर यहां भक्तो का ताँता लगा रहता है मगर पावन नवरात्रों के दौरान मंदिर की छठा अलग ही देखने को मिलती है। यही कारण है आज पहले नवरात्र पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। 

मां चंडी देवी मंदिर का पौराणिक इतिहास है। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते है कि आदि काल में जब शुम्भ-निशुम्भ ने धरती पर प्रलय मचाया हुआ था। तब देवताओं ने उनका संहार करने का प्रयास किया मगर जब उन्हें सफलता नहीं मिली।

तब जाकर उन्होंने माँ भगवती से दोनों राक्षसों से मुक्ति पाने की गुहार लगायी। देवताओं की विनती पर माँ भगवती ने चंडी का रूप धर कर उन दोनो राक्षसों का वध करने की ठान ली। 

माँ चंडी देवी के प्रकोप से बचने के लिए शुम्भ-निशुम्भ नील पर्वत पर आकर छिप गए। तभी माता ने यहां पर खंभ रूप में प्रकट होकर दोनों का वध कर दिया। इसके उपरान्त देवताओं के आह्वान पर माँ चंडी, मानव जाती के कल्याण के लिए इसी स्थान पर खम्ब के रूप में विराजमान हो गई और आदि काल के अपने भक्तों का कल्याण करती आ रही हैं। 

जो भी भक्त सच्चे मन से कोई भी मुराद मांगता है, माँ चंडी उसे जरूर पूरा करती है। अपनी मुराद पूरी करने के लिए मंदिर परिसर में माता की चुनरी बांधने की मान्यता है। मुराद पूरी होने पर भक्त चुनरी खोलने के लिए दोबारा मंदिर आते हैं। 

यही कारण है की नवरात्रों के दौरान यहां पर दूर-दूर से आने वाले भक्तों की लम्बी लम्बी कतारें नजर आती हैं। कोरोना के चलते दो साल से मंदिर सूना पड़ा था लेकिन कोरोना का प्रभाव कम होते ही मंदिर की रौनक फिर से लौट आई है।