सेर जगास गांव के लिए वरदान साबित हुई प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना

सेर जगास गांव के लिए वरदान साबित हुई प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना

यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ  12-08-2021

सरकार द्वारा किसानो की आय की दौ गुणा करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है और किसान भी इन योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रहे है और इससे किसानो को आर्थिक लाभ भी हो रहा है। इसी कडी यहा भू-संरक्षण विभाग राजगढ़ द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत निर्मित जल संग्रहण चैक डैम कृषक समूह जगास के लिए संजीवनी बूटी  साबित हो रहा है।

विकास खण्ड राजगढ़ की ग्राम पंचायत सैर जगास के जगास गांव के  किसान जो पहले सिचाई सुविधा ना होने के कारण  मुख्यतः खाद्यान्न फसलों जैसे गेहूँ मक्की जौ आदि का उत्पादन करते थे, मगर गांव के किसानो को अब सिंचाई सुविधा मिलने से नकदी फसलें टमाटर , शिमला मिर्च , फ्रासबीन मटर आदि पैदा करके लाखों रुपयों का आर्थिक लाभ कमा रहे है ।

भू-संरक्षण विभाग के राजगढ कार्यलय द्वारा  इस गांव के किसानों के आग्रह पर वर्ष 2017-18 में मौके पर जाकर गांव के निकट  पड़ेन्द नाले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत सामुदायिक जल भण्डारण (चैक डेम) का निर्माण किया गया इस चैक डेम मे नाले का पानी एकत्र किया गया व इस पानी को खेतों के पास पाईपों से ले जाकर टैंक निर्माण करके भण्डारण करने की योजना बनाई।

जिसका निर्माण  किसान विकास संघ जगास के माध्यम से किया गया। उपमंडलीय भू संरक्षण अधिकारी चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि चार लाख 28 हजार 900 रुपए की लागत से बनी यह योजना वर्ष 2019 में संचालित हो गई। नाले में चेक डेम की कुल वर्षा जल भण्डारण क्षमता 96 हजार लीटर है। जिससे अब कुल सात हेक्टेयर भूमि सिंचित हो गई है।

किसान संघ के प्रधान गीता राम, रविन्द्र सिंह ठाकुर, प्रदीप कुमार,  जिया लाल, शेर सिंह व  चतर सिंह ने बताया कि पहले किसान परंपरागत फसलें जैसे गेहूं, मक्की (खाद्यान्न फसलें) तथा बरसाती मौसम में टमाटर, शिमला मिर्च, व मटर (सब्जियां) इत्यादि का उत्पादन औसतन तीन चार  बीघा में करता था। 

लेकिन  अब प्रत्येक किसान औसतन सात आठ  बीघा में बैमोसमी सब्जियों टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रासबीन, फुलगोभी, बंदगोभी व लहसून का उत्पादन करके अच्छी आय प्राप्त कर रहे है।  किसानों ने बताया कि अब प्रति किसान की औसतन वार्षिक आय करीब ढाई लाख रुपए तक बढ़ गई है, जो पहले कठिनाई से एक लाख रुपए भी नहीं हो पाती थी।