यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन 13-09-2022
जिला मुख्यालय नाहन स्थित डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चोरी का मामला सामने आया है। मजेदार बात तो यह है कि चोरी किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं बल्कि सुरक्षा पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड्स ने ही चोरी को अंजाम दिया है। जानकारी के मुताबिक जिला मुख्यालय नहान के डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीन जुड्डा का जोहड़ में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गए कोविड मेक शिफ्ट अस्पताल को तमाम मूलभूत सुविधाओं से लैस किया गया है।
बताते हैं कि गत दिनों कोविड मेक शिफ्ट अस्पताल से ट्यूब लाइट वास वेशन और अन्य सामान चोरी किया गया है। इसकी शिकायत बाकायदा पुलिस से भी दर्ज की गई है। जानकारी के मुताबिक अस्पताल से जो सामान चोरी किया गया था वह भी रिकवर कर लिया है। लेकिन सवाल उठता है कि यदि मेडिकल कॉलेज के सुरक्षा कर्मी ही चोरी की वारदात को अंजाम देंगे तो मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में करोडो रुपयों की मशीनरी सुरक्षाकर्मियों के हवाले होती है।
यदि इसी तरह सुरक्षाकर्मियों द्वारा चोरी को अंजाम दिया जाता रहा तो मेडिकल कॉलेज को सुरक्षा मुहैया करवाने वाली एजेंसी पर भी सवालिया निशान लग्न लाजिमी है। इस बारे में यंगवार्ता न्यूज़ ने डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सिक्योरिटी इंचार्ज डीएस राणा से बात की तो उन्होंने बताया कि कोविड मेक शिफ्ट अस्पताल से कुछ ट्यूबलाइट चोरी हुई थी जिसे रिकवर कर लिया गया है।
उधर इस बारे में डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. श्याम कौशिक ने बताया कि मीडिया की मार्फत उन्हें जानकारी मिली है कि मेडिकल कॉलेज के कोविड मेक शिफ्ट अस्पताल से कुछ सामान चोरी हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बारे में पूरी छानबीन की जाएगी और यदि सुरक्षाकर्मियों द्वारा चोरी को अंजाम दिया है तो उचित कदम उठाए जाएंगे। बताते हैं कि गत दिनों कोविड मेक शिफ्ट अस्पताल से चोरी हुआ सामान रिकवर होने के बाद सिक्योरिटी इंचार्ज ने सुरक्षाकर्मियों पर पेनल्टी लगा कर सामान जमा कराने के साथ ही समझौता भी कर दिया है।
अब देखना यह है कि क्या सुरक्षाकर्मियों द्वारा जब प्रकार चोरी को अंजाम दिया गया है वह न्यायोचित है या फिर हिमाचल प्रदेश सरकार या मेडिकल प्रशासन इस बारे में कोई उचित कदम उठाएगा। गौर हो कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही और बदसलूकी के कई मामले पहले भी सामने आए हैं। लेकिन इसे दबा दिया जाता था ऐसा ही इस मामले में भी किया गया है।
इसमें भी सिक्योरिटी इंचार्ज और मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मामले को रफा-दफा करने के लिए समझौता करवा दिया , लेकिन यदि इसे सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो मामला बड़ा गंभीर है , क्योंकि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कई उपकरण ऐसे भी है जिसकी कीमत लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में हैं। यदि उन मशीनों का एक पार्ट भी चोरी हो जाता है तो पूरी की पूरी मशीनरी बेकार हो जाती है।